रांची : घर-बार छोड़ प्रदेश लोग इसलिए जाते हैं, ताकि अच्छी कमाई हो और परिवार की देखभाल सही से हो सके. झारखंड के चतरा जिले के फूलदेव भी इसी सोच के साथ कोलकाता के दुर्गापुर कमाने गया. लॉकडाउन के कारण फूलदेव भुईंया की स्थिति खराब हो गयी. चतरा वापस आने को आतुर फूलदेव ने 500 रुपये में साइकिल खरीदी. साइकिल के सहारे दुर्गापुर से चला. लॉकडाउन होने के कारण रास्ते में भोजन नसीब नहीं हुआ. कुछ रोटी के सहारे करीब 150 किमी की दूरी तय किया ही था कि मुख्य सड़क पर गिर पड़ा और कुछ ही देर में उसकी मृत्यु हो गयी. इसकी जानकारी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को मिली. उन्होंने तत्काल चतरा उपायुक्त (DC) को दिवंगत फूलदेव के परिवार को जरूरी मदद पहुंचाने का निर्देश दिया. वहीं, चतरा प्रशासन की पहल पर गांव में उनका अंतिम संस्कार हुआ और परिजनों को सरकारी मदद मुहैया करायी गयी.
कोलकाता के दुर्गापुर में राजमिस्त्री का काम करनेवाला फूलदेव भुईंया कभी सोचा भी नहीं था कि यह उनकी आखिरी यात्रा है. लॉकडाउन के कारण अपने परिवार वालों के पास पहुंचने के लिए फूलदेव काफी परेशान था. किसी तरह से 500 रुपये एक साइकिल खरीदी. इस साइकिल पर जरूरी सामान लादकर अपने गांव चतरा के लिए निकल पड़ा. रास्ते में कुछ रोटी खाया लेकिन भरपेट खाना कहीं नसीब नहीं हुआ. इस दौरान वह अपनी पत्नी को फोन कर जल्द घर पहुंचने की जानकारी भी दिया.
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दुर्गापुर से करीब 150 किमी की दूरी तय किया था कि उसकी साइकिल लड़खड़ा गयी और वह सड़क पर ही गिर गया. कुछ देर में इसकी मौत हो गयी. घटनास्थल पर बिखरे सामान व साइकिल की स्थिति देख अंदाजा लगाया जा सकता है कि किसी वाहन की चपेट में आने से इसकी मौत हुई हो. इधर, इस घटना की जानकारी अभिषेक अंगद ने अपने ट्विटर अकाउंट के माध्यम से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ट्वीट किया. मुख्यमंत्री के संज्ञान में यह बात आते ही उन्होंने इस दु:ख की घड़ी में सहयोग करने का निर्देश अधिकारियों को दिया. उन्होंने तत्काल चतरा जिले के उपायुक्त (DC) को निर्देश दिया कि दिवंगत फूलदेव के परिवार को जरूरी सरकारी मदद पहुंचाते हुए हमें जल्द सूचित करें.
इधर, मुख्यमंत्री का निर्देश मिलते ही चतरा प्रशासन ने पश्चिम बंगाल प्रशासन से संपर्क कर फूलदेव भुईंया के पार्थिव शरीर को उनके गांव लाया. चतरा उपायुक्त ने मुख्यमंत्री को बताया कि गांव लाकर अंतिम संस्कार की पूरी प्रक्रिया की गयी. साथ ही इनकी पत्नी को राहत सामग्री एवं विधवा पेंशन, राशन कार्ड समेत अन्य सरकारी लाभ उपलब्ध कराया गया.
इन दिनों झारखंड के प्रवासी मजदूर व अन्य लोगों का झारखंड आना जारी है. कोई ट्रेन के सहारे झारखंड वापस लौट रहे हैं, तो कोई साइकिल व पैदल ही अपने घर के लिए निकल पड़े हैं. राज्य सरकार सभी प्रवासी मजदूरों से बार-बार आग्रह कर रही है कि आप अपना धैर्य न खोयें. राज्य सरकार आपको वापस झारखंड लाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है.