पटना : जीविका की दीदीयों ने कोरोना के संकट काल में एक नयी मिसाल कायम की है. मामला सिर्फ मास्क बनाकर बेचने भर का नहीं है. ऐसी विषम परिस्थिति में ना केवल उन महिलाओं से सस्ते दर कपड़े का अच्छा मास्क तैयार किया. बाजार में उसको उतार कर राज्य में मास्क की आपूर्ति की स्थिति को संभाला, मास्क बनाने वाली बड़ी कंपनियों को चुनौती दी, खुद की आर्थिक स्थिति को संभाले रखा और बीते डेढ़ माह में 2346 जीविका समूह ने 24 लाख से अधिक मास्क का निर्माण कर दो करोड़ 30 लाख का कारोबार भी किया. शनिवार को ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने इसकी समीक्षा की और अद्यतन रिपोर्ट को साझा किया.
एक करोड़ 65 लाख का भुगतान
दो करोड़ से अधिक के कारोबार में एक लाख 65 लाख का भुगतान भी जीविका समूह के महिलाओं को भुगतान भी हो चुका है. समूह की महिलाएं प्रतिदिन 5.6 हजार मास्क तैयार कर रही हैं. उन्होंने कई संस्थान, बैंक, दवा दुकान अन्य प्रतिष्ठानों में इसकी सप्लाइ भी की है. इनके मास्क की मांग धीरे-धीरे बाजार में बढ़ रही है. शनिवार को ग्रामीण विकास मंत्री ने लॉकडाउन में विभाग से संबंधित चलाये जा रहे कामों की समीक्षा की. उन्होंने मनरेगा के कार्यक्रम पदाधिकारी, जीविका के डीपीएम, बीपीएम एवं जिलों के उप विकास आयुक्तों से भी फोन पर जानकारी प्राप्त की. मनरेगा योजना से गरीबों को मिल रहे रोजगार की जानकारी ली.
सबसे अधिक पश्चिमी चंपारण में बनाया मास्क
मास्क बनाने के लिए जीविका समूह के सर्वाधिक परिवार औरंगाबाद में 185, पश्चिमी चंपारण में 158, गोपालगंज में 131, कटिहार में 118, पूर्वी चंपारण में 107, भोजपुर में 104, जहानाबाद में 92, नालंदा में 84 तथा पटना में 71 मास्क तैयार कर रहे हैं. सबसे अधिक पश्चिमी चंपारण में एक लाख 62 हजार, पटना में एक लाख 53 हजार, मधुबनी में एक लाख 42 हजार, शेखपुरा में एक लाख 27 हजार, भागलपुर में एक लाख 20 हजार मास्क तैयार किये गये हैं.