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COVID 19 Test: कोरोना टेस्ट, इलाज और डिस्चार्ज को लेकर मोदी सरकार की नई गाइड लाइंस, यहां समझिए कौन हैं पिंक पेशेंट

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना मरीजों के टेस्ट और इलाज को लेकर नयी गाइडलाइन जारी की है. मंत्रालय गाइडलाइन के मुताबिक अब कोरोना के मरीजों को 14 दिनों के बजाय सात दिन तक ही क्वारेंटाइन में रहना होगा. इसके अलावा गाइडलाइन में कहा गया है कि मरीज को अब 10 दिन में भी छोड़ा जा सकता है.

नयी दिल्ली : केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना मरीजों के टेस्ट और इलाज को लेकर नयी गाइडलाइन जारी की है. मंत्रालय गाइडलाइन के मुताबिक अब कोरोना के मरीजों को 14 दिनों के बजाय सात दिन तक ही क्वारेंटाइन में रहना होगा. इसके अलावा गाइडलाइन में कहा गया है कि मरीज को अब 10 दिन में भी छोड़ा जा सकता है.

एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार हेल्थ मिनिस्ट्री के नये पॉलिसी के अनुसार एसिम्प्टोमेटिक केसेज में अब मरीजों को 10 दिन के भीतर छोड़ा जा सकता है. सरकार के अनुसार ऐसे मरीज जिनमें कोरोना के लक्षण नहीं है या/बहुत कम हैं, उन लोगों को कोरोनावायरस केयर फैसिलिटी में रखा जायेगा. जहां उनका रेगुलर तापमान चेक और पल्‍स ऑक्सिमेट्री मॉनिटरिंग (PoM) टेस्ट किया जायेगा.

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अगर मरीज को 3 दिन तक बुखार नहीं आयेगा तो उसे 10 दिन के बाद डिस्‍चार्ज किया जा सकता है. आदेश में कहा गया है कि ऐसी स्थिति में पहले टेस्टिंग की जरूरत नहीं होगी. डिस्‍चार्ज के वक्‍त मरीज को 7 दिन तक होम आइसोलेशन में रहने को कहा जायेगा.

मॉडरेट मरीज का होगा टेस्टिंग- हेल्थ मिनिस्ट्री के आदेश के मुताबिक जिस मरीज में कोरोनावायरस के लक्षण थोड़ा अधिक होगा, उसे सीधे ऑक्सीजन बेड पर रखा जायेगा. 4 दिनों तक अगर मरीज का सैचुरेशन लेवल 95 प्रतिशत से अधिक रहता है तो उसे 10 दिन बाद डिस्चार्ज कर दिया जायेगा. इसके अलावा इन मरीजों का डिस्चार्ज से पहले टेस्टिंग प्रक्रिया से गुजरना होगा

गंभीर मरीज पर डॉक्टर का फैसला- कोरोना से संक्रमित गंभीर मरीज पर इलाज कर रहे डॉक्टर ही डिस्चार्ज का फैसला करेंगे. आदेश में बताया गया है कि एचआईवी और अन्य गंभीर समस्या वाले मरीज क्लिनिकल ट्रायल के बाद ही डिस्चार्ज होंगे.

4 प्रतिशत मरीज ही गंभीर– एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार सरकारी डेटा के अनुसार भारत में केवल 4 फीसदी मरीज ही गंभीर स्थिति में है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने बीते हफ्ता बताया था कि भारत में सिर्फ 0.36 फीसदी लोग ही आइसीयू में है.

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