नयी दिल्ली : देश में कोरोना वायरस का कहर तेजी से बढ़ने लगा है. 24 घंटे में वायरस की रफ्तार भी बढ़ गयी है. अब पूरे देश में एक दिन में 3 हजार से अधिक केस सामने आने लगे हैं. मरने वालों की संख्या में भी इजाफा हुआ है.
इस बीच कोरोना संकट के खिलाफ जंग में बड़ी राहत भरी खबर है. देश में 216 जिले ऐसे हैं, जहां कोरोना संक्रमण के कोई भी केस सामने नहीं आये हैं. इसके अलावा कई ऐसे जिले भी हैं, जहां से संक्रमण के मामलों में भी कमी आयी है.
मालूम हो अरुणाचल प्रदेश (1), अंडमान व नोकोबार द्वीप समूह (33 केस), मणिपुर (2) और गोवा (7) जैसे राज्य पूरी तरह से कोरोना फ्री हो चुके हैं. यहां जितने भी कोरोना के संक्रमित पाये गये थे, सभी ठीक होकर अपने घर लौट चुके हैं. इसके अलावा असम, हिमाचल प्रदेश और पुडुचेरी ने भी बहुत हद तक कोरोना पर विजय पा ली है.
स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा कि देश में कोविड-19 मरीजों के संक्रमण मुक्त होने की दर 29.36 प्रतिशत है. उन्होंने बताया कि देश में अभी तक इलाज के बाद 17,846 लोग संक्रमण मुक्त हुए हैं, जबकि पिछले 24 घंटे में 1,273 लोगों को अस्पतालों से छुट्टी दी गई है. अग्रवाल ने बताया कि कोविड-19 के जिन मरीजों का इलाज चल रहा है उनमें से 3.2 प्रतिशत को ऑक्सीजन दिया जा रहा है, 4.2 प्रतिशत आईसीयू में हैं, जबकि 1.1 प्रतिशत को वेंटिलेटर पर रखा गया है.
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केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोविड-19 मामलों के लिए अस्पताल से छुट्टी दिये जाने की नीति में बदलाव किया है. अब कोरोना वायरस संक्रमण के केवल गंभीर मरीजों की ही अस्पताल से छुट्टी दिये जाने से पहले जांच की जायेगी. नये बदलावों के अनुसार कोरोना वायरस संक्रमित रोगियों में गंभीर बीमारी विकसित होती है या रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत कमजोर होती है तो ऐसे मरीजों को अस्पताल द्वारा छुट्टी देने से पहले आरटी-पीसीआर जांच करानी होगी.
कोविड-19 के हल्के और बहुत हल्के मामलों में लक्षणों के समाप्त होने के बाद अस्पताल से छुट्टी दिये जाने से पहले जांच कराये जाने की जरूरत नहीं होगी. अब तक के नियमों के अनुसार, किसी मरीज को तब छुट्टी दी जाती थी जब 14 दिन पर उसकी जांच रिपोर्ट निगेटिव आती थी और इसके बाद फिर 24 घंटे के अंतराल में रिपोर्ट निगेटिव आती थी.
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मंत्रालय ने कहा, अस्पताल से छुट्टी से पहले जांच की आवश्यकता नहीं होगी. छुट्टी दिये जाने के समय मरीज को दिशा-निर्देशों के अनुसार सात दिन घर में पृथक रहने को कहा जायेगा. कोविड-19 के हल्के लक्षणों वाले मरीजों को कोविड देखभाल केन्द्र में भर्ती किया जायेगा जहां उनके तापमान की नियमित जांच की जायेगी. संशोधित नीति में कहा गया है, लक्षण शुरू होने के 10 दिन बाद और तीन दिन तक बुखार नहीं होने के बाद रोगी को छुट्टी दी जा सकती है. छुट्टी दिये जाने से पहले मरीज को जांच की जरूरत नहीं होगी. केन्द्र से छुट्टी दिये जाने के बाद यदि मरीज में फिर से बुखार, खांसी या सांस लेने में दिक्कत संबंधी लक्षण सामने सामने आते है तो वे कोविड देखभाल केन्द्र या राज्य हेल्पलाइन या 1075 पर संपर्क कर सकते हैं.
स्वास्थ्य मंत्रालय ने ‘क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए’ के सवाल पर कहा, यदि लॉकडाउन का कड़ाई से पालन किया गया, तो कोविड-19 के मामलों को चरम पर पहुंचने से रोका जा सकता है. संयुक्त सचिव अग्रवाल ने कहा, ऐसे में जब हम लॉकडाउन में छूट या ढील की बात कर रहे हैं और प्रवासी श्रमिक अपने-अपने घर लौट रहे हैं, तो हमारे सामने एक बड़ी चुनौती पैदा हो रही है और हमें अब कोरोना वायरस के साथ रहना सीखना होगा और जब हम वायरस के साथ जीना सीखने की बात कर रहे हैं तो यह महत्वपूर्ण है कि स्वयं को वायरस संक्रमण से बचाने के लिए जारी दिशा-निर्देशों को पूरा समाज अपने अंदर समाहित करे और उसे अपनी जीवन शैली का हिस्सा बनाए.
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