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बढ़ रही गर्मी, अविभावक रहे सर्तक, दिमागी बुखार को लेकर आइसीडीएस निदेशालय ने किया अलर्ट

मस्तिष्क ज्वर/दिमागी बुखार/चमकी बुखार से बच्चों को बचाने के लिए राज्य स्तर से एडवाइस जारी किये गये हैं. राज्य आइडीएस निदेशालय के द्वारा डीपीओ/सीडीपीओ को पत्र लिखकर इस जानलेवा बीमारी से बच्चों को बचाने के लिए लोगों को जागरुक करने

खगड़िया : मस्तिष्क ज्वर/दिमागी बुखार/चमकी बुखार से बच्चों को बचाने के लिए राज्य स्तर से एडवाइस जारी किये गये हैं. राज्य आइडीएस निदेशालय के द्वारा डीपीओ/सीडीपीओ को पत्र लिखकर इस जानलेवा बीमारी से बच्चों को बचाने के लिए लोगों को जागरुक करने, अविभावकों को बच्चों के स्वास्थ्य के प्रति सर्तक रहने सहित बीमार बच्चों के प्रारंभिक उपचार की व्यवस्था करने को कहा गया है. जानकारी के मुताबिक आईइसीडीएस निदेशक ने एलएस, आंगनबाड़ी केन्द्र की सेविका व सहायिका को अपने पोषक क्षेत्र में लोगों को इस बीमारी से बचाव एवं त्वरित राहत कार्य से जुड़ी सूचना उपलब्ध कराने की जिम्मेवारी सौंपी है. गौरतलब है कि गर्मी के महीनों में यह बीमारी (मस्तिष्क ज्वर/दिमागी बुखार/चमकी बुखार) बच्चों के लिये जानलेवा साबित हो जाती है.

थोड़ी सी लापरवाही बच्चों को मौंत के मुंह में धकेल देती है. पिछले साल मुज्जफरपुर एवं इसके निकटवर्ती जिलों में यह बीमारी काफी तेजी से फैला था.सेविका को दी गई जिम्मेवारी, बच्चों के स्वास्थ्य के प्रति माता-पिता को करेंगी जागरुक.इस बीमारी (मस्तिष्क ज्वर/दिमागी बुखार) के रोक-थाम के लिये जिले के सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों की सेविका को अहम जिम्मेवारी सौंपी गयी है. आइसीडीएस निदेशक ने डीपीओ व सभी सीडीपीओ को पत्र लिखकर बच्चों को इस जानलेवा बीमारी से बचाने के लिये सेविका की सेवा लेने को कहा है. निदेशक ने सभी सेविकाओं को अपने पोषक क्षेत्र के बीमार बच्चों की देखरेख करने से लेकर इस बीमारी से बच्चों को बचाने के लोगों को जागरुक करने को कहा है.

जानकारी के मुताबिक सेविका को यह जिम्मेवारी दी गई है कि वे बच्चों के खान-पान से लेकर मस्तिष्क ज्वर/दिमागी बुखार से बचाव के तौर-तरीकों के साथ-साथ लोगों/अविभावक को इस बीमारी से ग्रसित बच्चों के प्रारंभिक यानी घरेलू उपचार के गुर भी बताएंगे. बच्चों में उक्त बीमारी के लक्षण पाए जाने की स्थिति में सेविका बच्चों का प्रारंभिक उपचार यानी ओआरएस/ग्लूकोज/चीनी के घोल पिलाएंगी. यदि आशा अथवा एएनएम के पास ग्लूकोमीटर हो तो बीमार बच्चे के खून में शूगर की मात्रा की जांच कराएगी. चिकित्सक से परामर्श लेकर बच्चों को पारासिटामोल खिलाएगी.

इसके अलावे बच्चों को बेहतर इलाज के लिये नजदीक के स्वास्थ्य केन्द्र तक पहुंचाने तथा आवश्यकतानुसार टॉल फ्री नम्बर 108/102 पर फोन कर एम्बुलेंस बुलाने की व्यवस्था करने की जिम्मेवारी सेविका को सौंपी गई है.ये है बीमारी के लक्षण.अचानक पूरे शरीर या शरीर के किसी खास अंग में ऐठन शुरु हो जाना.मुंह से झाग आना, दांत पर दांत बैठना.अचानक सुस्ती/अर्द्ध बेहोशी/बेहोश हो जाना.अचानक तेज बुखार आ जाना.उल्टी, सांस तेज हो जाना.तुरंत करें ये उपाय/उपचार.तेज बुखार होने पर पूरे शरीर को ताजे पानी से पोछें, पंखा से हवा दें ताकि सौ डिग्री से कम बुखार हो. घरेलू उपचार करते हुए बच्चों को नजदीक के स्वास्थ्य केन्द ल जांए. अगर बच्चा बेहोश न हो तब साफ पानी में ओआरएस घोल बनाकर पिलावें. अगर बच्चा बेहोश है तो उसे हवादार स्थान पर रखें.

बच्चे के शरीर से कपड़ा हटा दें एवं ठंडी जगह पर गर्दन सीधा कर लिटाएं. कोविड-19 से बचाव के मद्देनजर बीमार बच्चे के पास जाने से पूर्व मुंह ढंके और हाथ की सफाई जरुर कर लें.बचाव के लिये बरते सावधानी..जलकौड़ा के चिकित्सक डॉ रोहित शर्मा बताते हैं कि मस्तिष्क ज्वर/दिमागी बुखार/चमकी बुखार जानलेवा बीमारी है. थोड़ी सी लापरवाही बच्चों को मौत के मुंह में धकेल देता है. अगर अविभावक/माता-पिता अपने बच्चों को मस्तिष्क ज्वर/दिमागी बुखार/चमकी बुखार से बचाव कर सकते हैं. गर्मी के मौसम में बच्चों के खान-पान का विशेष ख्याल रखें.खाना,पानी भरपेट दें, ओआरएस या ग्लूकोज या चीनी का घोल जरुर पिलाएं. लीची बगान में बच्चों को जाने न दें, खाने को अधपका लीची न दें, बगीचे में गिरे जूठे फल बच्चों को न दें, बच्चों को भोजन का विकल्प फल न बनाए.

रात में सोने के पहले बच्चों को सोने से पहले भरपेट खाना खिलाएं. डॉ शर्मा ने कहा कि आलू, सकरकंद, ज्वार, बाजरे की रोटी में कार्बोहाईड्रेट तत्व ज्यादा होते हैं, जो रक्त में शुगर की मात्रा को कम नहीं होने देता है. इसलिये इसे खाने में जरुर शामिल करें.इस बीमारी में ये क्या न करें.डॉ रोहित शर्मा ने बताया कि मस्तिष्क ज्वर/दिमागी बुखार की पहचान हो जाने की स्थिति में बच्चों को कम्बल या फिर गर्म कपड़ों में न लपेटें. बच्चें की नाक बंद न करें. बेहोशी/मिर्गी की अवस्था में बच्चों के मुंह में कुछ न दें. बच्चें का गर्दन झुकी न रहने दें. उन्होंने कहा कि मस्तिष्क ज्वर/दिमागी बुखार/चमकी बुखार दैविक प्रकोप नहीं है. यह अत्यधिक गर्मी एवं कमी का कारण होने वाली बीमारी है. इसलिये बीमार बच्चे को इलाज के लिए ओझा-गुणी के पास जाकर समय बर्बाद न करें.

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