सिमडेगा : झारखंड में हॉकी की नर्सरी सिमडेगा जिला मेंनेशनल व इंटरनेशनल महिला हॉकी खिलाड़ी फिटनेस के लिए खेत-खलिहान में काम कर रही हैं. लॉकडाउन के कारण हॉकी सेंटर व हॉस्टल बंद कर दिये गये हैं. खिलाड़ियों को उनके गांव भेज दिया गया है. खेल का जुनून ऐसा है कि महिला खिलाड़ियों ने खुद को फिट रखने के लिए खेतों में मेहनत करना शुरू कर दिया. अभ्यास के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का भी ख्याल रख रही हैं.
जिले के सुदूर ग्रामीण क्षेत्र में रह रही हॉकी इंटरनेशनल खिलाड़ी संगीता कुमारी करंगागुड़ी नवाटोली गांव में ही खुद को फिट रखने का प्रयास कर रही है. सुबह उठकर सबसे पहले खेतों और मेड़ों पर दौड़ती हैं. इसके बाद घर के ही पास बने चबूतरे पर प्रतिदिन हॉकी स्टिक से अभ्यास करती हैं. फिट रहने के लिए खेतों में कुदाल भी चलाती हैं. साथ ही घर का कामकाज भी करती हैं.
इसी प्रकार, बासेन नवाटोली निवासी नेशनल खिलाड़ी प्रीति कुल्लू, निक्की कुल्लू, अंजना डुंगडुंग एवं एलिन डुंगडुंग भी अहले सुबह उठकर सबसे पहले खेत एवं गांव की पगडंडियों पर दौड़ लगाती हैं. इसके बाद खेत में काम करने चली जाती हैं. खिलाड़ियों का कहना है कि वह दिनभर अपने आपको व्यस्त रखती हैं.
इन्होंने बताया कि हॉकी सेंटर बंद होने के बाद उन्होंने अपने गांव में सुबह में दौड़ने एवं पीटी करने के बाद खेतों में कुदाल चलाकर, कुआं से पानी भरकर एवं खेतों में खाद डालने के अलावा अन्य काम करके खुद को फिट रख रही हैं.
कई खिलाड़ियों की शिकायत है कि गरीबी के कारण गांव में उन्हें पौष्टिक आहार नहीं मिल रहा है. इस वजह से उन्हें थोड़ी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. हालांकि, वह देसी जुगाड़ से एवं घर में ही मिल रहे अनाज से इस कमी को पूरा करने का प्रयास कर रही हैं.
हॉकी खिलाड़ियों को हॉकी सेंटर व हॉस्टल से घर भेजकर खेल प्रशासन ने उन्हें भुला दिया गया है. हॉकी सेंटर तथा हॉस्टल में खिलाड़ियों को पौष्टिक आहार मिलता था, जो उनके फिट रहने के लिए जरूरी है. लेकिन, लॉकडाउन के कारण खिलाड़ियों को घर भेजकर खेल विभाग ने अपनी ड्यूटी की इतिश्री कर ली. जब पौष्टिक आहार नहीं मिलेगा, तो खिलाड़ी मेहनत कैसे करेंगे.