शकील अख्तर, रांची : झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) ने मुख्य परीक्षा के एक विषय में फेल परीक्षार्थी को वित्त सेवा के लिए सफल घोषित कर दिया है. यानी अब यह परीक्षार्थी विजय कुमार अंबेदकर, वित्त सेवा का अफसर बनेगा. अनुसूचित जाति के इस सफल परीक्षार्थी का रोल नंबर 68034960 है, जिसे लिखित परीक्षा में 506 और इंटरव्यू में 61, यानी कुल 567 नंबर मिलेे हैं. विजय को ‘पेपर-2’में कुल अंक 150 में से सिर्फ 39 नंबर (26 फीसदी) मिला है, जबकि अायोग के नियमानुसार पास होने के लिए 48 नंबर (32 फीसदी) लाना अनिवार्य है.
जेपीएससी की मुख्य परीक्षा में कुल छह पेपर है. ‘पेपर-1’ में 30 नंबर लाना जरूरी है. बाकी पांच पेपरों के सिलसिले में यह स्पष्ट नहीं है कि इन सबमें अलग-अलग पास होना जरूरी है या समेकित रूप से. हालांकि प्रारंभिक परीक्षा में इस मुद्दे पर छिड़ी कानूनी जंग में जेपीएससी की ओर से अदालत में यह कहा जा चुका है कि हर विषय में अलग-अलग पास मार्क्स लाना जरूरी है.पास मार्क्स के विवाद में कोर्ट का फैसलाजेपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा में कुछ फेल छात्रों ने आयोग के इस फैसले को हाइकोर्ट में चुनौती दी थी.
गौरव प्रियदर्शी व अन्य के मामले (डब्ल्यूपीएस-5046/2018 और 4188/2018) में आयोग ने अदालत को बताया था कि प्रारंभिक व मुख्य परीक्षा में अलग-अलग जाति के उम्मीदवारों के लिए अलग अलग पास मार्क्स निर्धारित है. इसमें अनारक्षित वर्ग का पास मार्क्स 40 फीसदी निर्धारित है. याचिकाकर्ता ने प्रारंभिक परीक्षा में 40 प्रतिशत से ज्यादा अंक हासिल किये थे, फिर भी उन्हें फेल कर मुख्य परीक्षा में शामिल होने से वंचित कर दिया गया.
नवंबर 2012 का संकल्पइस मामले की सुनवाई के दौरान आयोग ने तत्कालीन कार्मिक सचिव एनएन सिन्हा के हस्ताक्षर से 27 नवंबर 2012 को जारी एक संकल्प अदालत मे पेश किया. इस संकल्प में सामान्य जाति के लिए पास मार्क्स 40 फीसदी, बीसी“एनेक्च-1’ के लिए 34 फीसदी, बीसी- ‘एनेक्चर-2’को लिए 36.5 फीसदी तथा एससी,एसटी व महिला वर्ग के लिए 32 फीसदी निर्धारित है.
वहीं हर विषय में पास मार्क्स लाना जरूरी है. जबकि याचिकाकर्ता अलग-अलग विषय में निर्धारित पास मार्क्स नहीं ला सके थे. इसलिए उन्हें फेल किया गया. कोर्ट ने आयोग की दलील सही मानी और याचिका खारिज कर दी. अदालत ने तान्या मलिक सहित अन्य मामलों में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये गये फैसलों का हवाला भी दिया था.