पटना : मुंबई के पनवेल स्टेशन से गुरुवार को दो श्रमिक स्पेशल ट्रेन करीब 2350 मजदूरों को लेकर दानापुर स्टेशन पहुंची. पहली श्रमिक स्पेशल ट्रेन शाम 7:15 बजे स्टेशन पहुंची. वहीं, दूसरी ट्रेन रात के 11:45 बजे पहुंची. ट्रेन से प्लेटफॉर्म पर उतरते ही श्रमिकों के चेहरे पर घर पहुंचने की राहत दिखने लगी थी. ट्रेन पांच घंटे की देरी से पहुंची. कोरोना से मुंबई के सबसे अधिक प्रभावित होने से श्रमिक खौफ में रहते थे. लॉकडाउन में नौकरी जाने के बाद पेट भरना मुश्किल हो गया था. किसी तरह घर आना चाह रहे थे. मुंबई से आये हर मजदूर की थर्मल स्क्रीनिंग करने के बाद जिला प्रशासन की ओर से रात 9 बजे तक सभी श्रमिकों को गृह जिला भेज दिया गया. भोजन को लेकर मची अफरा-तफरी ट्रेन पांच घंटे की देरी से स्टेशन पहुंची. इससे श्रमिक भूखे थे.
ट्रेन से उतरने के बाद थर्मल स्क्रीनिंग शुरू हुई और 7:30 बजे से श्रमिक सर्कुलेटिंग एरिया में आने लगे. सर्कुलेटिंग एरिया में पहुंचने के बाद जिला प्रशासन की ओर से भोजन मुहैया कराया गया. भोजन वितरण के समय अफरा-तफरी जैसा माहौल बना गयी, जिसे 10 मिनट में ही नियंत्रित कर लिया गया. मधुबनी के श्रमिकों को भेजा गया पहले प्लेटफॉर्म पर अफरा-तफरी न हो इसके लिए जवान तैनात थे. सबसे पहले मधुबनी जिले के श्रमिकों को 13 बसों पर बैठा कर भेजा गया. इसके बाद अररिया, किशनगंज, दरभंगा, सीतामढ़ी, भागलपुर, बांका, सीवान, छपरा, बक्सर, मुजफ्फरपुर, मुंगेर, मोतिहारी, रोहतास, सहरसा सहित आदि जिलों की ओर बस रवाना की गयी. पटना के भी 50 श्रमिक थे, जिन्हें सबसे अंत में भेजा गया.
नीचे बैठ कर भोजन करने को मजबूर थे श्रमिक श्रमिक स्पेशल ट्रेन से जहारा खातून भी अपने दो बच्चों के साथ प्लेटफॉर्म पर उतरीं, जो पूरे दिन की भूखी थीं. खाने का पैकेट मिला, तो जहारा भोजन के पैकेट लेकर बस के समीप ही नीचे बैठ कर बच्चों के साथ खाने लगी. किराया के रूप में वसूला गया 700 रुपये श्रमिक स्पेशल ट्रेन के यात्रियों को मुफ्त में रेल टिकट मुहैया कराने की व्यवस्था की गयी है. लेकिन, रेलवे व स्थानीय प्रशासन की ओर से रेल किराया वसूला जा रहा है. गुरुवार को मुंबई के पनवेल से आयी ट्रेन के श्रमिकों से भी किराया वसूला गया है. श्रमिकों ने बताया कि रेल टिकट पर 700 रुपया अंकित है. लेकिन, 700 से 740 रुपये तक वसूला गया है.
यह किराया रेलवे के अधिकारियों ने स्टेशन पर वसूल किया है. कोट : सही सलामत घर पहुंचने पर मिली राहतमहाराष्ट्र के भिवंडी में कांटी फैक्टरी में मजदूरी कर रहे थे. लॉकडाउन में नौकरी छूट गयी. इसके बाद घर में बैठ गये. दिन-रात डरे रहते थे. सही सलामत घर पहुंचने पर राहत मिली है. रकीब अंसारी, मधुबनीकपड़ा फैक्टरी में काम करता था. काम बंद होने पर उस महीने का वेतन भी नहीं मिला. सरकार की मदद से कुशलतापूर्वक घर पहुंच गये. हालांकि, रेलवे की ओर से स्टेशन पर किराया वसूला गया है. संजय, मधुबनीभिवंडी में कपड़ा फैक्टरी में काम करते थे.
काम बंद होने के बाद रूम का किराया देना भी मुश्किल हो गया. स्थानीय सामाजिक संगठनों की ओर से दिये भोजन से पेट भर रहे थे. वकील कुमार, पटनामुंबई के एक फैक्टरी में मजदूरी का काम करता हूं. लॉकडाउन में कई रात भूखे पेट सोने को मजबूर हुआ. जब स्पेशल ट्रेन की सूचना मिली, तो जैसे-तैसे तैयारी की. स्टेशन पहुंचने पर किराया भी चुकाया. मो आफताब, मुजफ्फरपुर