कोलकाता : कलकत्ता हाईकोर्ट (Calcutta High Court) ने कोलकाता नगर निगम (Kolkata Municipal Corporation) की अधिसूचना द्वारा गठित प्रशासकों के बोर्ड को एक महीने के लिए ‘केयर टेकर बोर्ड’ के रूप में काम करने की अनुमति दी. न्यायमूर्ति सुब्रत तालुकदार की पीठ ने गुरुवार शाम को सुनवाई के दौरान अंतरिम आदेश पारित किया, हालांकि सरकार की ओर से कोई पेश नहीं हुआ था. उच्च न्यायालय ने सरकार को निर्देश दिया है कि पूरी दुनिया में कोरोना आपदा के कारण लॉकडाउन के मामले में कार्य जारी रखने का निर्देश दिया. एक महीने बाद फिर इस मामले की विस्तारित सुनवाई होगी.
उल्लेखनीय है कि कोलकाता नगर निगम (Kolkata Municipal Corporation) के मेयर (Mayor) फिरहाद हकीम को कोलकाता नगर निगम का प्रशासक नियुक्त करने के राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ कोलकाता के अरविंद सरणी निवासी शरत कुमार सिंह ने फैसले को चुनौती देते हुए अदालत में याचिका दायर की थी. उनके वकील विकास सिंह ने कहा कि नगरपालिका कानून के अनुसार, कलकत्ता नगर निगम के मामले में प्रशासक नियुक्त करना संभव नहीं है. यद्यपि अन्य नगर पालिकाओं में प्रशासक नियुक्त किये जा सकते हैं. यह इस नगरपालिका के मामले में कानून के खिलाफ है.
उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के कारण चुनाव पूर्व मतदान स्थगित कर दिया गया था. इस स्थिति में राज्य सरकार ने फिरहाद हकीम को प्रशासक बनाने का निर्णय लिया है. राज्य चुनाव आयोग ने इसका समर्थन किया है, जो पूरी तरह से असंवैधानिक है. उन्होंने कहा कि जिस विभाग ने 6 मई को अधिसूचना जारी की है. वह पूरी तरह से नियमों के खिलाफ है.
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कोलकाता नगर निगम (Kolkata Municipal Corporation) के मेयर को प्रशासक बनाये जाने पर जहां राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने मुख्य सचिव के जवाब नहीं देने पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से संविधन के अनुच्छेद 167 के तहत जवाब मांगा, वहीं भाजपा के महासचिव और प्रदेश भाजपा के केंद्रीय प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने भी ममता सरकार पर हमला बोला. राज्यपाल द्वारा जारी बयान में कोलकाता नगर निगम से 6 मई, 2020 की अधिसूचना की जानकारी मुख्य सचिव से मांगी थी, लेकिन राज्यपाल को कोई जवाब नहीं मिला. इससे राज्यपाल क्षुब्ध दिखे और संविधान के अनुच्छेद 167 के तहत राज्य के मुख्यमंत्री को जवाब मांगा.