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SBI की ब्याज दर घटने से Home, Auto और Personal Loan वालों को लॉकडाउन में होगा बड़ा फायदा, जानिए कैसे…?

देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक SBI ने अपने MCLR यानी सीमांत लागत आधारित ऋण दर को 7.40 फीसदी से घटाकर 7.25 फीसदी कर दिया है. बैंक द्वारा की गयी यह कटौती आगामी 10 मई से प्रभावी होगी.

नयी दिल्ली : देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक SBI ने अपने MCLR यानी सीमांत लागत आधारित ऋण दर को 7.40 फीसदी से घटाकर 7.25 फीसदी कर दिया है. बैंक द्वारा की गयी यह कटौती आगामी 10 मई से प्रभावी होगी, लेकिन इससे होम लोन, ऑटो लोन और पर्सनल लोन लेने वालों को बड़ी राहत मिलेगी. इसकी वजह यह है कि ब्याज दरों में कटौती के साथ ही होम लोन लेने वाले ग्राहकों की ईएमआई में करीब 255 रुपये की कमी आ जाएगी. इसके साथ ही, ऑटो और पर्सनल लोन लेने वालों की ईएमआई की रकम में भी कमी आएगी.

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इस फॉमूले पर तय होती है ब्याज दर : दरअसल, बैंक जिस निर्धारित फॉर्मूले के तहत ब्याज दरों में कटौती करते हैं, उसे ही एमसीएलआर यानी मार्जिन कॉस्ट ऑफ फंड लेंडिंग रेट कहा जाता है. रिजर्व बैंक की ओर से बैंकों के लिए तय फॉर्मूला फंड की मार्जिनल कॉस्‍ट पर आधारित है. इस फॉर्मूले का मकसद ग्राहकों को कम ब्याज दर का फायदा देना और बैकों के लिए ब्याज दर तय करने की प्रक्रिया में पारदर्शिता लाना है.

चार साल पहले से ही एमसीएलआर के फॉमूले पर तय हो रही है ब्याज दर : अप्रैल, 2016 से ही बैंक नये फॉर्मूले के तहत मार्जिनल कॉस्ट से ब्याज दर तय कर रहे हैं. साथ ही, बैंकों को हर महीने एमसीएलआर की जानकारीदेनी होती है. रिजर्व बैंक द्वारा जारी इस नियम से बैंकों को ज्यादा प्रतिस्पर्धी बनाने में मदद मिलने और आर्थिक प्रगति में भी इसका लाभ मिलने की उम्मीद थी. एमसीएलआर फॉर्मूले का फायदा नये ग्राहकों के साथ ही पुराने ग्राहकों को भी मिलता है. जिस ग्राहक ने एमसीएलआर बदलने से पहले लोन लिया है और उसका लोन ब्याज दर के फॉर्मूले से जुड़ा हुआ है, तो एमसीएलआर घटने के साथ ही उसकी ईएमआई कम हो जाती है.

ऐसे आएगी आपकी EMI की रकम में कमी : इसे आप ऐसे भी समझ सकते हैं कि मार्जिनल का मतलब होता है अलग से या अतिरिक्त. जब भी बैंक ब्याज दर तय करते हैं, तो वे बदली हुई परिस्थ‍ितियों में खर्च और सीमांत लागत में गुणा-भाग करते हैं. बैंकों के स्तर पर ग्राहकों को डिपॉजिट पर दिये जाने वाली ब्याज दर शामिल होती है. एमसीएलआर को तय करने के लिए चार फैक्टर को ध्यान में रखा जाता है. इसमें फंड का अतिरिक्त चार्ज भी शामिल होता है. निगेटिव कैरी ऑन सीआरआर भी शामिल होता है. साथ ही, ऑपरेशन कॉस्ट औक टेन्योर प्रीमियम शामिल होता है. अब हिसाब से अगर आप देखेंगे, तो एसबीआई की ओर से ब्याज दरों में कटौती के साथ ही होम, ऑटो और पर्सनल लोन लेने वालों की ईएमआई की रकम में कमी आएगी.

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