पटना : लाॅकडाउन के कारण कोरोना से इतर सामान्य मरीजों के इलाज में मुश्किलें आ रही हैं. कहीं अस्पतालों में सीमित ओपीडी ही चल रहे हैं, तो कहीं मरीजों का पहुंचना आसान नहीं है. इस दौरान आयुर्वेदिक और यूनानी चिकित्सा पद्धति से इलाज करवाने वाले मरीज भी डाॅक्टरों से दूर हुए हैं. इससे अस्पताल आनेवाले मरीजों की संख्या में 90 प्रतिशत तक की कमी आ गयी है. पटना की बात करें, तो यहां राज्य के सबसे बड़े आयुर्वेदिक और यूनानी अस्पताल हैं, जहां दूर-दूर से मरीज इलाज के लिए आते थे. लेकिन इन दिनों इनकी ओपीडी में दिन भर में 50 से 60 मरीज ही आते हैं. परिवहन के साधनों के नहीं चलने और कोरोना के खतरे को देखते हुए मरीज यहां आने से परहेज कर रहे हैं.
कई ऐसे मरीज, जो पुरानी बीमारियों का इलाज यहां करवा रहे थे और हर महीने डाॅक्टर से मिलने आते थे, वे भी नहीं आ पा रहे हैं. राजकीय आयुर्वेदिक काॅलेज एवं अस्पताल के प्राचार्य प्रो दिनेश्वर प्रसाद कहते हैं कि लाॅकडाउन के दौरान भी ओपीडी खुला है. लेकिन आने वाले मरीजों की संख्या कम है. लाॅकडाउन से पहले, जहां रोजाना औसतन 500 मरीज आते थे, वहीं लाॅकडाउन में यह संख्या 50 रह गयी. हालांकि पिछले कुछ दिनों में यह संख्या कुछ बढ़ी है. वह बताते हैं कि हमारे यहां अभी इनडोर में मरीजों को भर्ती नहीं किया जा रहा है. लेकिन अब इसमें भर्ती करने को लेकर हम विचार कर रहे हैं.
हालांकि यहां पंचकर्म चल रहा है और इसके मरीज यहां भर्ती हैं. दूरदराज के मरीजों के न आ पाने के कारण हमने टेलीमेडिसिन की सुविधा भी शुरू की है. दिये गये नंबर पर कहीं से भी कोई भी काॅल कर चिकित्सीय सलाह ले सकता है. जागरूक कर रहा राजकीय तिब्बी काॅलेज एवं अस्पतालबिहार में यूनानी चिकित्सा से इलाज का सबसे प्रतिष्ठित संस्थान राजकीय तिब्बी काॅलेज एवं अस्पताल है. यहां पूरे राज्य से मरीज इलाज के लिये आते हैं. लेकिन लाॅकडाउन के बाद यहां भी नये मरीजों को भर्ती लेना बंद कर दिया गया है.
ओपीडी में कभी रोजाना 400 से ज्यादा मरीज आते थे, लेकिन अब यह संख्या सिमट के 60 से 70 रह गयी है. इसके प्राचार्य डाॅ मो जियाउद्दीन कहते हैं कि लाॅकडाउन के कारण यहां आने वाले मरीजों की संख्या में काफी कमी आयी है. जो मरीज आ रहे हैं उन्हें सोशल डिस्टेंसिंग, स्वच्छता आदि का ख्याल रखते हुए देखा जा रहा है. इसके साथ ही हम लोगों को जागरूक कर रहे हैं कि रोग प्रतिरोधक क्षमता कैसे बढ़ाएं.