नागेश्वर
ललपनिया (बोकारो) : गोमिया प्रखंड अंतर्गत चतरोचटी थाना क्षेत्र के हुरलूंग एवं महुवाटांड़ थाना क्षेत्र के धवैया गांव के दो दर्जन मजदूर बंगाल में फंसे हैं. लॉकडाउन के कारण न तो जिस कंपनी में कार्यरत थे, वहां से सहयोग मिला और न ही सरकार से. इंतजार करते-करते आखिरकार इन मजदूरों का सब्र का बांध टूटा और साइकिल से अपने-अपने गांव निकल पड़े. अपने गांव आने में इन मजदूरों को करीब 350 किलोमीटर की दूरी तय करनी होगी. चार मई को सात मजदूर और पांच मई को 14 मजदूर अपने-अपने गांव के लिए साइकिल से निकल पड़े हैं. हालांकि, यहां आने पर उनकी जांच होगी, उसके बाद उनलोगों को क्वारेंटाइन किया जायेगा.
Also Read: लॉकडाउन से प्रदूषण का स्तर हुआ कम, तिलैया डैम में भी दिखने लगा बदला- बदला नजारा
हुरलूंग व धवैया के ये मजदूर बंगाल के हुगली जिला स्थित नलीकुल में एक कंपनी में पेटी मजदूर के तौर पर काम करत हैं. लॉकडाउन के कारण कंपनी मालिक ने सहयोग करने से मना कर दिया. किसी तरह दिन काटने को मजबूर हुए. कई बार अपने गांव वापस जाने की गुहार भी लगायी, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया, तो हार कर 21 मजदूरों ने दो ग्रुपों में बंट कर साइकिल से ही अपने घर जाने को मजबूर हुए.
मजदूरों ने दूरभाष पर अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा कि जिस कंपनी में काम करते हैं, लॉकडाउन के कारण वहां से भी मदद नहीं मिली. इन मजदूरों का कंपनी के पास तीन माह का मजदूरी बकाया हो गया है, लेकिन इस संकट की घड़ी में कंपनी भी हाथ पीछे खींच लिया. इससे उनलोगों के सामने विकट स्थिति उत्पन्न हो गयी. पास के गांव के ग्रामीणों द्वारा मिले कुछ अनाज से कुछ दिनों तक जीवन यापन हुअा, लेकिन उसके बाद स्थिति विकट होने लगी.
बंगाल से अपने गांव आते मजदूर
हुगली जिला स्थित माल्या (नली कुल) के एक कंपनी में पेटी मजदूर के तौर पर काम करते इन मजदूरों में लोकनाथ महतो, गिरी महतो, बद्री महतो, घनश्याम महतो, महादेव महतो, कैलाश ठाकुर, मोहन महतो, गेदो महतो, राजेश महतो (गिधिनिया), रोहित महतो (दुनी), संदीप महतो, सोमनाथ महतो, सहदेव महतो (गिधिनिया), फागु मरांडी (धवैया), बालेश्वर महतो, जयलाल महतो, सुरेश महतो, राजू महतो, अर्जुन महतो, नरेश महतो, दिनेश्वर महतो साइकिल से अपने-अपने गांव की ओर निकल पड़े हैं.