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तीन माह के लिए और बढ़ सकती है EMI चुकाने की सुविधा, बैंकों ने RBI को दिया प्रस्ताव

Bank loan, EMI moratorium, Reserve bank of india(RBI), coronavirus lockdown: अगर आपने कोई लोन ले रखा है और हर माह ईएमआई (EMI) भरने का काम करते हैं तो ये खबर आपके लिए ही है. कोरोनावायरस संकट और लॉकडाउन के इस दौर में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की ओर से उपलब्ध करायी गई लोन मोराटोरियम की सुविधा को और तीन महीने (अगस्त) के लिए बढ़ाया जा सकता है.

अगर आपने कोई लोन ले रखा है और हर माह ईएमआई (EMI) भरने का काम करते हैं तो ये खबर आपके लिए ही है. कोरोनावायरस संकट और लॉकडाउन के इस दौर में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की ओर से उपलब्ध करायी गई लोन मोराटोरियम की सुविधा को और तीन महीने (अगस्त) के लिए बढ़ाया जा सकता है. जल्द ही इसकी घोषणा हो सकती है.

मीडिया में सूत्रों के हवाले से खबर आयी है कि बैंकों की ओर से भारतीय रिजर्व बैंक से अपील की गयी है कि लोन मोराटोरियम की अवधि को और आगे बढ़ाया जाए. फिलहाल आरबीआई के निर्देश पर देश के सभी बैंकों ने हर तरह के लोन पर 90 दिन (मार्च से मई) तक ईएमआई भरने पर राहत दे रखी है. इस दौरान लोन पर ब्याज वृद्धि से राहत नहीं मिली है. ग्राहक बढ़े हुए ब्याज को आगे की किश्तों में भर सकते हैं.

बता दें कि शनिवार को आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंकों के प्रमुखों के साथ बैठक की थी. इस बैठक में कई बैंकों ने आरबीआई को मोरोटोरियम सुविधा को 90 और दिनों के लिए बढ़ाने का सुझाव दिया था. बैंकों ने कहा था कि इस अतिरिक्त अवधि के बाद ही कारोबार में कैशफ्लो का मूल्यांकन किया जा सकता है. सूत्रों के मुताबिक, बैंकों का कहना है कि आरबीआई ने अभी कोई वादा नहीं किया है लेकिन वह लॉकडाउन के विस्तार को देखते हुए उनकी समस्या से वाकिफ है.

आरबीआई गवर्नर ने बैंकों प्रमुखों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए दो अलग-अलग सत्रों में बैठक की. इस बैठक में लोन मोराटोरियम के अलावा अर्थव्यवस्था के अन्य सेक्टरों में क्रेडिट फ्लो पर भी चर्चा की गयी. साथ ही नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनीज, माइक्रोफाइनेंस संस्थान, हाउसिंग फाइनेंस कंपनीज और म्यूचुअल फंड में लिक्विडिटी पर विचार विमर्श किया गया. साथ ही आरबीआई ने बैंकों से उनकी अंतरराष्ट्रीय शाखाओं के कामकाज को लेकर बातचीत की.

लॉकडाउन में आरबीआई ने ये किया

लॉकडाउन के दौरान आरबीआई ने कई बड़े फैसले लिए हैं. बैंकों को अधिक से अधिक कर्ज देने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए आरबीआई ने मुख्य नीतिगत ब्याज दर (रेपो दर) को 0.75 फीसदी घटाकर 4.4 फीसदी कर दिया है, जो 11 साल का निचला स्तर है. इसके अलावा रिवर्स रेपो दर को भी घटाकर 3.75 फीसदी कर दिया गया, ताकि बैंक प्रणाली में मौजूद सरप्लस फंड का उपयोग कर्ज देने में करे. रिवर्स रेपो दर नकदी की आपूर्ति को नियंत्रित करने के लिए एक प्रमुख मोनेटरी उपकरण है.

इससे पहले सरकार ने 1.7 लाख करोड़ रुपए के पैकेज की घोषणा की है, जिसके तहत कोरोनावायरस की महामारी के कारण चुनौतियों से जूझ रहे गरीबों को मुफ्त अनाज देने की व्यवस्था की गई है और उनके हाथों में नकदी भी दी गई है.

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