कोलकाता : भाजपा के बंगाल प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष (Dilip Ghosh) ने सोमवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Cm Mamta Banerjee) को पत्र लिखा है. पत्र में श्री घोष ने राज्य सरकार पर कोरोना संक्रमण (Corona Infection) के मामले में पूरी तरह से असफल रहने का आरोप लगाते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल का कोई जगह अब सुरक्षित नहीं रहा है. पश्चिम बंगाल के अधिकारी, धापा में कार्यरत ओसी व केंद्रीय पर्यवेक्षक टीम के साथ तैनात बीएसएफ के जवान कोरोना पॉजिटिव पाये गये हैं. इससे यह साफ है कि राज्य का कोई भी इलाका अब सुरक्षित नहीं है.
राज्य सरकार पश्चिम बंगाल में 4 रेड जोन की बात कही थी, जबकि केंद्र सरकार ने 10 रेड जोन की बात कही है. इससे यह भी साबित हो जाता है कि राज्य सरकार ने एक दिन में एक लाख लोगों को कोरेंटाइन में भेजा है. इनकी संख्या 50 हजार से बढ़कर 1.50 लाख हो गयी है. इससे भी स्पष्ट है कि राज्य की स्थिति ठीक नहीं है. उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में कोरोना मामले की जांच बहुत कम हो रही है. केंद्रीय पर्यवेक्षक टीम ने भी इसे स्वीकार किया है.
दिलीप घोष ने आरोप लगाया कि बंगाल में जांच की गति धीमी है और मृत्यु दर सबसे अधिक है. विश्व स्तर पर मृत्यु दर 6.7 प्रतिशत है. राष्ट्रीय स्तर पर मृत्यु दर 4 से 5 प्रतिशत है, जबकि पश्चिम बंगाल में 13 से 14 प्रतिशत है. यह राष्ट्रीय स्तर से तीन गुना है. मुख्यमंत्री को दिये पत्र में उन्होंने कहा है कि राज्य सरकार केंद्र सरकार की योजनाओं को लागू नहीं कर रही है. इससे राज्य के लोग केंद्रीय योजनाओं की राशि से वंचित हो रहे हैं.
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प्रधानमंत्री किसान निधि योजना के तहत पश्चिम बंगाल के किसानों को 1691 करोड़ रुपये मिलते. उसी तरह से अंशुमान भारत योजना के तहत पश्चिम बंगाल के लोगों को 4500 करोड़ रुपये मिलते. उन्होंने कहा कि राशन वितरण में भी भ्रष्टाचार हो रहा है. इससे स्पष्ट है कि 275 दुकानों को सील किया गया है. 25 डीलर को गिरफ्तार किया गया है. भाजपा पहले से ही कह रही है कि राशन वितरण में व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है. केंद्र सरकार द्वारा दिये गये चावल को बदल दिया जा रहा है. उन्होंने लोगों के घर-घर राशन पहुंचाने की मांग की है.
उन्होंने कहा कि स्वास्थ्यकर्मी और चिकित्सक नहीं पहुंच रहे हैं. यह जरूरी है कि स्वास्थ्य कर्मियों के वेतन दोगुने किये जाये. दूसरे राज्यों से लौटने वालों के किराये में 15 प्रतिशत राज्य सरकार को देने की आलोचना किये जाने पर श्री घोष ने कहा कि राज्य सरकार को भी अपनी भूमिका वहन करना होगा. दूसरे राज्यों के श्रमिकों की वापसी पर श्री घोष ने कहा कि एक साथ सभी श्रमिकों की वापसी ठीक नहीं है, क्योंकि इससे डेढ़ माह के दौरान जो लॉकडाउन से फायदा हुआ है, उससे नुकसान हो सकता है.
उन्होंने कहा कि हाल में उन्होंने स्वर्ण कारीगरों के संगठनों के साथ बातचीत की थी. इससे पता चला कि बंगाल के 25,000 कारीगर राज्य के बाहर रहते हैं. एक साथ सारे श्रमिक जो बंगाल से बाहर रहते हैं, अगर वापस लौटते हैं तो उससे स्थिति बिगड़ सकती है. राज्यपाल द्वारा पत्र दिये जाने पर श्री घोष ने कहा कि राज्यपाल जो बातें कह रहे हैं, वहीं बात हम सब भी लंबे समय से कह रहे हैं. राज्यपाल संवैधानिक प्रधान हैं तथा वह सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील भी रह चुके हैं. कानून के मामले में उनकी जानकारी किसी भी मंत्री या तृणमूल नेता से कम नहीं है.