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घर लौटने वाले मजदूरों की रेल यात्रा का खर्च उठाएगी कांग्रेस, सोनिया गांधी ने किया ऐलान

coronavirus lockdown update, sonia gandhi , indian railways, migrant labourers कोरोनावायरस संकट के मद्देनजर लागू लॉकडाउन के कारण प्रवासी मजदूर लंबे वक्त से फंसे हुए थे. अब जब लंबे वक्त बाद उन्हें घर जाने की अनुमति मिली, तो केंद्र ने रेल किराये का सारा खर्च मजदूरों से वसूलने का फैसला किया. इस पर राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गयी है और अब कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इसको लेकर बड़ा फैसला लिया है.

कोरोनावायरस संकट के मद्देनजर लागू लॉकडाउन के कारण प्रवासी मजदूर लंबे वक्त से फंसे हुए थे. अब जब लंबे वक्त बाद उन्हें घर जाने की अनुमति मिली, तो केंद्र ने रेल किराये का सारा खर्च मजदूरों से वसूलने का फैसला किया. इस पर राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गयी है और अब कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इसको लेकर बड़ा फैसला लिया है. कांग्रेस पार्टी सभी जरूरतमंद मजदूरों के रेल टिकट का खर्च उठाएगी.

सोनिया गांधी ने अपनी पार्टी की प्रदेश इकाइयों से मजदूरों के किराए का खर्च उठाने को कहा है. सोमवार को ऐलान किया कि देशभर में फंसे मजदूरों के घर वापस जाने के लिए रेलयात्रा का खर्च कांग्रेस पार्टी उठाएगी. कांग्रेस ने ट्वीट करते हुए लिखा है, ‘भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने यह निर्णय लिया है कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी की हर इकाई हर जरूरतमंद श्रमिक व कामगार के घर लौटने की रेल यात्रा का टिकट खर्च वहन करेगी व इस बारे जरूरी कदम उठाएगी.’ पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी का बयान ट्वीट किया गया है.

कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए देशभर में जारी लॉकडाउन को 17 मई तक बढ़ाया गया है. सरकार ने शुक्रवार से फंसे हुए मजदूरों को उनके गृह राज्य तक पहुंचाने के लिए विशेष ट्रेनें चलानी शुरू की हैं. रेलवे के सर्कुलर के मुताबिक, स्थानीय सरकारी अधिकारी अपने द्वारा क्ल‍ियर किए गए मजदूरों को टिकट सौंपेंगे.उनसे टिकट का किराया वसूल करेंगे और कुल राशि रेलवे को सौंप देंगे. इसकी आलोचना करते कांग्रेस ने मजदूरों के लिए बड़ा ऐलान किया है.

पत्र में क्या लिखा है?

सोनिया गांधी ने कहा है, श्रमिक व कामगार देश की रीढ़ की हड्डी हैं. उनकी मेहनत और कुर्बानी राष्ट्र निर्माण की नींव है. सिर्फ चार घंटे के नोटिस पर लॉकडाऊन करने के कारण लाखों श्रमिक व कामगार घर वापस लौटने से वंचित हो गए. 1947 के बंटवारे के बाद देश ने पहली बार यह दिल दहलाने वाला मंजर देखा कि हजारों श्रमिक व कामगार सैकड़ों किलोमीटर पैदल चल घर वापसी के लिए मजबूर हो गए. न राशन, न पैसा, न दवाई, न साधन, पर केवल अपने परिवार के पास वापस गांव पहुंचने की लगन. उनकी व्यथा सोचकर ही हर मन कांपा और फिर उनके दृढ़ निश्चय और संकल्प को हर भारतीय ने सराहा भी. पर देश और सरकार का कर्तव्य क्या है?

आज भी लाखों श्रमिक व कामगार पूरे देश के अलग अलग कोनों से घर वापस जाना चाहते हैं, पर न साधन है, और न पैसा. दुख की बात यह है कि भारत सरकार व रेल मंत्रालय इन मेहनतकशों से मुश्किल की इस घड़ी में रेल यात्रा का किराया वसूल रहे हैं. ‘साथ ही उन्होंने कहा, ‘श्रमिक व कामगार राष्ट्रनिर्माण के दूत हैं. जब हम विदेशों में फंसे भारतीयों को अपना कर्तव्य समझकर हवाई जहाजों से निशुल्क वापस लेकर आ सकते हैं, जब हम गुजरात के केवल एक कार्यक्रम में सरकारी खजाने से 100 करोड़ रु. ट्रांसपोर्ट व भोजन इत्यादि पर खर्च कर सकते हैं, जब रेल मंत्रालय प्रधानमंत्री के कोरोना फंड में 151 करोड़ रु. दे सकता है, तो फिर तरक्की के इन ध्वजवाहकों को आपदा की इस घड़ी में निशुल्क रेल यात्रा की सुविधा क्यों नहीं दे सकते?’

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने मेहनतकश श्रमिकों व कामगारों की इस निशुल्क रेलयात्रा की मांग को बार बार उठाया है. दुर्भाग्य से न सरकार ने एक सुनी और न ही रेल मंत्रालय ने. इसलिए, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने यह निर्णय लिया है कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी की हर इकाई हर जरूरतमंद श्रमिक व कामगार के घर लौटने की रेल यात्रा का टिकट खर्च वहन करेगी व इस बारे जरूरी कदम उठाएगी. मेहनतकशों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े होने के मानव सेवा के इस संकल्प में कांग्रेस का यह योगदान होगा.

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