कोविड 19 के संक्रमण से बचने के लिए बहुत सारे देशों ने लॉकडाउन का सहारा लिया और उनकी ये कोशिश सफल भी हो रही है. अगर हम भारत की ही बात करें तो भारत ने लॉक डाउन के जरिये काफी हद तक बढ़ते हुए संक्रमण के प्रभाव को कम किया है. लेकिन कुछ देश ऐसे भी हैं जिन्होंने बिना लॉकडाउन के ही संक्रमण के प्रभाव को काफी हद तक कम कर लिया है. आईए जानते हैं वो कौन से देश हैं जो कि बिना लॉकडाउन किये ही संक्रमण के प्रभाव को कम किया है.
स्वीडन एक ऐसा देश है जिसने बिना लॉक डाउन किये ही बढ़ते संक्रमण को रोकने में सफलता हासिल की. स्वीडन में अब तक कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या 21000 है तो वहीं इस संक्रामक वायरस से मरने वालों की संख्या 2400 है. स्वीडन की सरकार ने लॉक डाउन तो नहीं लगाया लेकिन उसने अपनी नागरिकों से से ये अपील की कि वो घर से बाहर न निकले. उन्होंने अपने स्कूल और कॉलेज तो बंद रखें लेकिन बुजुर्गों सख्त के लिए सख्त प्रतिबंध लगा दिए. महामारी विशेषा एंडर्स टेगनेल इस बारे में कहती है कि स्वीडन की सरकार किसी पर भी लॉकडाउन थोपना नहीं चाहती है. बल्कि इससे ज्यादा वो सोशल डिस्टेंसिंग की जिम्मेदारी को समझाना चाहती है. भले ही वहां की सरकार ने लॉक डाउन को सख्ती से पालन नहीं किया लेकिन वहां के लोग इस चीज को सख्ती से पालन कर रहे हैं.
चीन के बेहद निकट बावजूद ताइवान एक ऐसा देश है जहां पर कोरोना के मरीज ज्यादा नहीं है. इसके लिए ताइवान ने लॉक डाउन नहीं लगाया लेकिन वहां के लोगों ने क्वारेंटाइन का सख्ती से पालन किया, यहां लोगों के मोबाइल जीपीएस का इस्तेमाल कर उनपर निगरानी रखी गई. यहां अब तक सिर्फ 400 मामले और 6 मौतें दर्ज की गई हैं. ताइवान के कोरोना से काबू पाने का राज है बड़े पैमाने पर लोगों की टेस्टिंग और लोगों की निगरानी करना.
दक्षिण कोरिया शुरुआती दौर में कोविड-19 से बुरी तरह प्रभावित था लेकिन वहां की सरकार ने काबू पाने एक तरीका अपनाया वो है बड़ी संख्या में लोगों की टेस्टिंग और संक्रमित लोगों के संपर्क में आए लोगों को खोजने और उनलोगों को आइसोलेशन में डालने की रणनीति पर काम किया. इन्होंने आधुनिक तकनीकों की मदद से न सिर्फ मरीजों के संपर्कों की पहचान की बल्कि लोगों को भी आगह किया. यहां लोगों ने आइसोलेशन का पूरा पालन किया. इस देश में पिछले 10 हफ्तों से एक भी नया स्थानीय मामला नहीं आया है.
तुर्कमेनिस्तान एक ऐसा देश हैं जहां पर कोरोना के एक भी मामले सामने नहीं आए हैं. लेकिन वहां की सरकार ने एहतियात बरतते हुए हर शहर के बाहर चेकप्वाइंट बनाया और वहां बिना जांच के किसी को आगे जाने नहीं दिया जाता. हालांकि डब्ल्यूएचओ इस बात से सहमत नहीं है कि वहां पर कोई भी केस अब तक सामने नहीं आया है. लेकिन वहां की सरकार का इस मुद्दे पर कहना है कि वो कुछ नहीं छुपा रही है. वहां की सरकार ने मीडिया को कोरोना शब्द के इस्तेमाल पर भी रोक लगा दी.
ताजाकिस्तान में अब तक कोरोना के मात्र 15 मामले दर्ज हुए हैं, यहाँ पर लॉक डाउन तो नहीं लगाया गया लेकिन सारे स्कूल कॉलेज और खेल की सारी गतिविधियां बंद कर दी. और मास्क लगाना पूरी तरह से अनिवार्य कर दिया गया है.
जापान, इंडोनेशिया और सिंगापुर जैसे देश ऐसे हैं जहां की सरकार ने आंशिक बंदी का सहारा लेते हुए स्कूल कॉलेज दफ्तर बंद कर दिया है और लोगों को ये अपील कर रही है कि वो घर से काम करें.
इटली, जर्मनी और स्पेन ऐसे देश हैं जिन्होंने लॉक डाउन के नियमों में ढील देकर बुरे फंस गए नतीजा हुआ कि वहां पर कोरोना के मामलों में भारी बढ़ोतरी हुई. जर्मनी में मृत्युदर बढ़कर 3.8 फीसदी हो गई है और संक्रमण फैलने की दर 0.7 से बढ़कर 1.0 हो गई है. इस कारन अब इन देशों ने फिर से लॉक डाउन को लागू करते हुए उनकी सीमा बढ़ा दी.