ऐसे वक्त में जब कोरोना वायरस के कारण पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था चरमरा गयी है. उस वक्त उम्मीद की एक किरण टेक्नोलॉजी की वजह से नजर आ रही है जो दुनिया को नयी रफ़्तार दे सकती है. दरअसल, दिल्ली से सटे हरियाणा के गुरुग्राम में मास्टर्स यूनियन स्कूल ऑफ बिजनेस (MUSB) की स्थापना होने जा रही है. इस नये संस्थान में टेक्नोलॉजी पर फोकस किया जाएगा और क्लासेस सीईओ (CEO) भी लेंगे.
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इंडिया टुडे की खबर के अनुसार, अगले 2 से 3 साल में इस प्रोजेक्ट में करीब 300 करोड़ रुपयों का खर्च करने का काम किया जाएगा. मास्टर यूनियन स्कूल ऑफ बिजनेस (MUSB) का कैंपस साइबरसिटी, गुरुग्राम में बनाने की तैयारी चल रही है, इसका उद्देश्य यह है कि स्पेशल इकोनॉमिक जोन में स्थित 600 से अधिक एमएनसी के साथ कनेक्शन बनाया जा सके. MSUB ने 5 करोड़ रूपये के एक फण्ड की भी स्थापना करने की योजना तैयार की है जो कि छात्रों द्वारा चलाया जाएगा और जिसका इस्तेमाल स्टार्ट-अप्स, रियल एस्टेट और कैपिटल में निवेश करने के लिए किया जाएगा. वहीं सेंटर फॉर न्यू बिज़नेस मॉडल्स नामक रिसर्च आधारित फोरम ब्लॉकचेन, बायोटेक और मशीन लर्निंग जैसी नयी प्रौद्योगिकियों में बिजनेस के अवसर तलाशने पर जोर दिया जाएगा.
इस संस्थान की फैकल्टी में अरुण मायरा (पूर्व चेयरमैन, बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप), मुकुंद राजन (पूर्व मैनेजिंग डायरेक्टर, टाटा टेलीसर्विसेज लिमिटेड), कार्थिक रमन्ना (डायरेक्टर, ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी), नरेंद्र जाधव (राज्य सभा सांसद और पूर्व चीफ इकोनॉमिस्ट, आरबीआई), तथागता दासगुप्ता (चीफ डाटा साइंटिस्ट, वायाकॉम) और भास्कर चक्रवर्ती (पूर्व प्रोफेसर, हार्वर्ड बिजनेस स्कूल और पूर्व पार्टनर, मकिंसी एंड कंपनी) जैसे कई दिग्गज के नाम नजर आएंगे.
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इंडिया टुडे से बात करते हुए यूनियन बिजनेस स्कूल के संस्थापक कार्तिक रमन्ना ने बताया कि जिस बात के लिए मैं सबसे ज्यादा उत्साहित हूं वो ये है कि इस संस्थान में पढ़ाये जाने वाले कोर्स के लिए इनपुट्स सफल बिजनेसमैन, नेता आदि लोगों से लेने का काम किया जाएगा. इस संस्थान के कोर्स में ये सुनिश्चित किया जाएगा कि स्टूडेंट्स ऐसी जानकारी ग्रहण करें, जो इंडस्ट्री में काम करने के लिए जरूरी होती हैं.
इंडिया टुडे से बात करते हुए MUSB के फॉउन्डिंग मास्टर तथागता दासगुप्ता ने कहा कि मेडिकल कॉलेजों में स्टूडेंट्स को डॉक्टर पढ़ाते हैं, लॉ स्कूलों में लॉयर्स पढ़ाते हैं, लेकिन बिजनेस स्कूल की फैकल्टी को इंडस्ट्री में काम करने का अनुभव हो, ऐसा जरूरी नहीं माना जाता है. इसी अंतर को दूर करने के लिए मास्टर्स यूनियन ने CXOs, MDs, और बिजनेस लीडर्स को अपनी फैकल्टी की लिस्ट में शामिल किया है.
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