नयी दिल्ली : केंद्र सरकार ने देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे हुए प्रवासी मजदूरों, पर्यटकों, छात्रों और अन्य लोगों को कुछ शर्तों के साथ उनके गंतव्यों तक जाने की अनुमति दे दी है. सरकार के इस फैसले के बाद जहां एक ओर मजदूरों में खुशी की लहर है, वहीं राज्य सरकारें लोगों की घर वापसी के लिए अपनी तैयारी शुरू कर दी है.
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सरकार ने मजदूरों को बसों में भेजने के लिए कहा है, लेकिन केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने सरकार से नॉन स्टॉप ट्रेनें चलाने की मांग की है. उन्होंने कहा, बसों से मजदूरों को भेजना व्यावहारिक नहीं है. उन्होंने कहा, हमारे राज्य में 3.6 लाख प्रवासी मजदूर हैं. हम इतनी बड़ी तादाद में लोगों को बसों से इतना लंबा सफर नहीं करने दे सकते. इससे बीमारी फैलने का खतरा और बढ़ जाएगा.
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केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने एक आदेश में कहा कि ऐसे फंसे हुए लोगों के समूहों को ले जाने के लिए बसों का इस्तेमाल किया जाएगा और इन वाहनों को सैनेटाइज किया जाएगा तथा सीटों पर बैठते समय सामाजिक दूरी के नियमों का पालन करना होगा.
गृह मंत्रालय ने यह स्पष्ट नहीं किया कि क्या किसी व्यक्ति या परिवार को निजी वाहन में जाने की इजाजत मिल सकती है और यदि अनुमति मिल सकती है तो उसके लिए क्या शर्तें होंगी. सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को भेजे आदेश में भल्ला ने कहा, लॉकडाउन के कारण प्रवासी मजदूर, तीर्थयात्री, सैलानी, छात्र और अन्य लोग विभिन्न स्थानों पर फंसे हुए हैं. उन्हें जाने की इजाजत दी जाएगी.
आदेश तत्काल प्रभाव से लागू किया गया है. मंत्रालय ने शर्तें गिनाते हुए कहा कि सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को इस बाबत नोडल अधिकारी बनाने होंगे और ऐसे लोगों को रवाना करने तथा इनकी अगवानी करने के लिए मानक प्रोटोकॉल बनाने होंगे. आदेश में कहा गया है कि नोडल अधिकारी अपने राज्यों में फंसे हुए लोगों का पंजीकरण भी करेंगे. इसके अनुसार यदि फंसे हुए लोगों का समूह किसी एक राज्य या केंद्रशासित प्रदेश से दूसरे राज्य या केंद्रशासित प्रदेश के बीच यात्रा करना चाहता है तो दोनों राज्य एक दूसरे से सलाह-मशविरा कर सकते हैं और सड़क से यात्रा के लिए आपसी सहमति जता सकते हैं.
गृह मंत्रालय के अनुसार, सफर करने वालों की स्क्रीनिंग की जाएगी. जिनमें कोई लक्षण नहीं दिखाई देता, उन्हें जाने की इजाजत दी जाएगी. आदेश के अनुसार, बस के मार्ग में पड़ने वाले राज्य ऐसे लोगों को उनके राज्यों के लिए अपने यहां से गुजरने देंगे. इसमें कहा गया कि गंतव्य स्थल पहुंचने पर स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारी उन पर नजर रखेंगे और उन्हें घर में पृथक-वास में रहने को कहा जाएगा.
अगर जरूरत लगती है तो संस्थागत पृथक-वास में भी रखा जा सकता है. गृह मंत्रालय के अनुसार, इन लोगों पर लगातार नजर रखी जाएगी और समय समय पर इनकी स्वास्थ्य जांच होगी. गृह मंत्रालय ने यह भी कहा कि संबंधित अधिकारी लोगों को घरों में पृथक रखने के संबंध में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के दिशानिर्देशों का पालन करेंगे.
गृह मंत्रालय ने अलग से यह घोषणा भी की कि कोविड-19 से निपटने के लिए नये दिशानिर्देश जारी किये जाएंगे जो चार मई से प्रभावी होंगे. इनमें अनेक जिलों को काफी राहतें दी जाएंगी तथा आने वाले दिनों में इसका विवरण साझा किया जाएगा.