पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आगामी सोमवार से राज्य के ग्रीन जोन में बसों को चलाने की अनुमति दे दी है, लेकिन केवल 20 यात्रियों को बस में बैठाने की अनुमति है. परिवहन का निर्देश मिलने की वजह से बस मालिक वाहनों को चलाने के लिए उत्साहित ही नहीं हैं. दरअसल बुधवार शाम राज्य सचिवालय में मीडिया से मुखातिब होकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने घोषणा की थी कि आगामी सोमवार से राज्य के ग्रीन जोन में बसें चलेंगी.
ऑरेंज जोन में भी बसों को चलाने की अनुमति होगी. लेकिन केवल 20 यात्री बैठाये जा सकेंगे. इसके बाद प्रशासन ने इन क्षेत्रों में बस मालिकों को आवेदन की अनुमति दे दी है, लेकिन बस मालिकों के संगठन का कहना है कि एक बस को चलाने में जो खर्च होगा वह 20 यात्रियों के परिवहन से भरपाई नहीं हो सकेगा. इसीलिए मालिक नहीं चाहते हैं कि बसें चलें. राज्य प्रशासन को इस चिंता से अवगत कराया गया है. दरअसल कोलकाता, हावड़ा और उत्तर 24 परगना तथा पूर्व मेदिनीपुर रेड जोन में हैं. इन इलाकों में मिनी बसें मौजूद हैं, लेकिन बाकी जो क्षेत्र ग्रीन जोन में हैं जहां बसों को चलाने की अनुमति मिली है. वहां केवल बड़ी बसें हैं.
इसमें कम से कम 50 यात्रियों के बैठने की जगह होती है. केवल 20 यात्रियों के बैठने से 30 सीट खाली रहेगी. इन बसों में कम से कम 70 से अधिक यात्री होते हैं, जिससे मालिकों को लाभ होता है. बस मिनी बस समन्वय समिति के महासचिव राहुल चटर्जी ने कहा कि राज्य सरकार का किराया इतना कम है कि 20 यात्रियों को लेकर बस चलाना मुश्किल है. कोई लाभ नहीं होगा. उल्टा मालिकों को नुकसान ही होगा. इसीलिए बसों का चलना मुश्किल है. उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों को मिलकर बस मालिकों को आर्थिक पैकेज देने के बारे में सोचना चाहिए.
इसके बाद ही यह संभव हो सकता है कि यात्री परिवहन चालू हो सके. ज्वाइंट काउंसिल ऑफ बस सिंडिकेट के महासचिव तपन बनर्जी ने कहा कि जब पूरे राज्य में लॉकडाउन है और बस में केवल 20 यात्री बैठाने की अनुमति है, ऐसी स्थिति में वे लोग बस नहीं चला सकते, क्योंकि उन लोगों की बसें सब्सिडी पर नहीं चलती है, बस चलाने में काफी खर्च होते हैं, जब खर्च भी नहीं उठेगा, तो फिर बस क्यों चलायेंगे. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने कहा कि एक जिले से दूसरे जिले में बस नहीं जा सकती है. ऐसी स्थिति में उन लोगों को बस चलाने में केवल नुकसान ही होगा.