मुंबई : केंद्र सरकार ने देशभर में लागू लॉकडाउन (बंद) के कारण देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे हुए लाखों प्रवासी मजदूरों, पर्यटकों, छात्रों और अन्य लोगों को बुधवार को कुछ शर्तों के साथ उनके गंतव्यों तक जाने की अनुमति दे दी गयी, जिससे एक बड़े वर्ग को राहत मिली है. आदेश के बाद सभी राज्य सरकारें प्रवासी मजदूरों को घर लाने की तैयारी में जुट गये हैं. इस बीच महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार ने भी अपने यहां मौजूद प्रवासी मजदूरों को उनके घर भेजने के लिए दिशा-निर्देश जारी किया है.
उद्धव ठाकरे सरकार ने बताया कि जिन मजदूरों को उनके राज्य से वापस भेजा जाएगा उनकी पहले जांच की जाएगी. जिनमें कोई लक्षण नहीं दिखेगा उन्हें सरकारी अनुमति पत्र के साथ भेजा जाएगा की वे स्वस्थ्य हैं. वहीं अगर किसी में कोई अगर लक्षण दिखाई पड़ता है तो फिर उसे राज्य में ही रखा जाएगा. उसको वापस लौटने की अनुमति नहीं दी जाएगी.
महाराष्ट्र सरकार के मुख्य सचिव अजोय मेहता ने बताया, लॉकडाउन के कारण, प्रवासी श्रमिक, तीर्थयात्री, पर्यटक, छात्र और अन्य व्यक्ति विभिन्न स्थानों पर फंसे हुए हैं. उन्हें मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) में शर्तों के अनुसार स्थानांतरित करने की अनुमति दी जाएगी.
गौरतलब है कि केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने एक आदेश में कहा कि ऐसे फंसे हुए लोगों के समूहों को ले जाने के लिए बसों का इस्तेमाल किया जाएगा और इन वाहनों को सैनेटाइज किया जाएगा तथा सीटों पर बैठते समय सामाजिक दूरी के नियमों का पालन करना होगा.
सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को भेजे आदेश में भल्ला ने कहा, बंद के कारण प्रवासी मजदूर, तीर्थयात्री, सैलानी, छात्र और अन्य लोग विभिन्न स्थानों पर फंसे हुए हैं. उन्हें जाने की इजाजत दी जाएगी. मंत्रालय ने शर्तें गिनाते हुए कहा कि सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को इस बाबत नोडल अधिकारी बनाने होंगे और ऐसे लोगों को रवाना करने तथा इनकी अगवानी करने के लिए मानक प्रोटोकॉल बनाने होंगे. आदेश में कहा गया है कि नोडल अधिकारी अपने राज्यों में फंसे हुए लोगों का पंजीकरण भी करेंगे.