22.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

अमेरिका का अड़ंगा

दुनिया में चौधराहट करना अमेरिका का पुराना शगल रहा है. इसका एक पहलू दूसरों देशों की अंदरूनी घटनाओं के बहाने बयान देकर या कार्रवाई कर दबदबा बनाने की कोशिश है.

दुनिया में चौधराहट करना अमेरिका का पुराना शगल रहा है. इसका एक पहलू दूसरों देशों की अंदरूनी घटनाओं के बहाने बयान देकर या कार्रवाई कर दबदबा बनाने की कोशिश है. इसी तरह का हथकंडा अपनाते हुए अमेरिका के एक संघीय आयोग ने आरोप लगाया है कि भारत में धार्मिक स्वतंत्रता का हनन हो रहा है. अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता के इस अमेरिकी आयोग में वहां की दोनों प्रमुख पार्टियों का प्रतिनिधित्व होता है. दावा किया जाता है कि यह एक स्वतंत्र संस्था है, पर जानकार रेखांकित करते रहे हैं कि अमेरिकी विदेश नीति के हिसाब से ही यह आयोग काम करता है.

इसका एक संकेत देशों की उस ताजा सूची को देखकर ही जाहिर होता है, जिसे विशेष चिंता के देश कहा गया है. इन 14 देशों में गिने-चुने देश ही लोकतांत्रिक प्रक्रिया से शासित होते हैं तथा अधिकतर देशों में एकाधिकारवाद या बहुसंख्यवाद की विचारधाराएं राजनीति को संचालित करती हैं. इन देशों के साथ भारत को रखना केवल तथ्यों और सूचनाओं को तोड़-मरोड़कर रखना ही नहीं है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत को कमतर करने की कोशिश भी है. इस आयोग को समझने की कोशिश करनी चाहिए थी कि किसी देश के अंदरूनी मामलों में दखल देना वैश्विक कूटनीति की स्थापित मान्यताओं का उल्लंघन है.

आयोग को अपनी सरकार के भारत के बारे में सराहना करते हुए बयानों का संज्ञान लेना चाहिए था. इस बात की प्रशंसा की जानी चाहिए कि आयोग के नौ में से दो वरिष्ठ सदस्यों ने रिपोर्ट से अपनी असहमति भी जतायी है और कहा है कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है तथा उसे चीन और उत्तर कोरिया जैसे एकाधिकारवादी शासनों के साथ नहीं रखा जा सकता है. हाल ही में भारत के दौरे पर आये अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत की भूरि-भूरि प्रशंसा कर चुके हैं. यदि भारत के भीतर किसी तरह की ऐसी घटना होती है, जो संविधान के आदर्शों तथा विधि-व्यवस्था का उल्लंघन करती हो, तो उसे सुधारने और ऐसी घटना में लिप्त लोगों को दंडित करने का प्रावधान है.

यह शासन और न्यायालयों की जवाबदेही है कि धार्मिक आधार पर भेदभाव या हिंसा न हो. स्वाभाविक ही भारत ने इस आयोग की रिपोर्ट को खारिज कर दिया है. इस संदर्भ में यह उल्लेख किया जाना चाहिए कि पिछले कुछ सालों से अमेरिका के भीतर नस्ल, राष्ट्रीयता और धर्म के आधार पर घृणा से प्रेरित अपराधों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई है. अमेरिकी शासन के शीर्षस्थ पदाधिकारी भेदभाव बढ़ाने और कुछ समुदायों को अपमानित करने के इरादे से बयान देते रहे हैं. कुछ देशों से तो केवल धर्म के आधार पर लोगों के अमेरिका आने पर पाबंदी लगाने के आधिकारिक आदेश तक दिये गये हैं. अमेरिका को अपने गिरेबान में झांकने की जरूरत है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें