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Defaulters case: राहुल गांधी को निर्मला सीतारमण ने दिया करारा जवाब, कहा- सब यूपीए काल में हुआ

Defaulters case: कांग्रेस पार्टी पर हमलावर होते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि जानबूझकर ऋण नहीं चुकाने वाले यूपीए सरकार की ‘फोन बैंकिंग' के लाभकारी हैं. मोदी सरकार उनसे बकाया वसूली के लिए उनके पीछे पड़ी है.

Defaulters case: कांग्रेस पार्टी पर हमलावर होते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि जानबूझकर ऋण नहीं चुकाने वाले यूपीए सरकार की ‘फोन बैंकिंग’ के लाभकारी हैं. मोदी सरकार उनसे बकाया वसूली के लिए उनके पीछे पड़ी है. पचास शीर्ष डिफॉल्टरों (जानबूझकर ऋण नहीं चुकाने वाले) के ऋण को बट्टे खाते में डाले जाने पर विपक्ष के आरोपों के जवाब में सीतारमण ने यह बात कही. इन डिफॉल्टरों के 68,607 करोड़ रुपये के ऋण को तकनीकी रूप से बट्टे खाते में डाल दिया गया है.

वित्तमंत्री ने एक के बाद एक ट्वीट करके पूर्व की यूपीए सरकार पर जोरदार हमला किया. विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए वह कांग्रेस पर हमलावर रही. उन्होंने कहा कि कांग्रेस लोगों को गुमराह कर रही है. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को आत्मावलोकन करना चाहिए कि क्यों उनकी पार्टी व्यवस्था की सफाई में कोई निर्णायक भूमिका निभाने में असफल रही. सीतारमण ने कहा कि राहुल गांधी और कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं. वह कांग्रेस के मूल चरित्र की तरह बिना किसी संदर्भ के तथ्यों को सनसनी बनाकर पेश कर रहे हैं.

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वित्तमंत्री ने कहा कि कांग्रेस और राहुल गांधी को आत्मावलोकन करना चाहिए कि क्यों उनकी पार्टी प्रणाली की साफ-सफाई में कोई रचनात्मक भूमिका नहीं निभा सकी. ना सत्ता में और ना विपक्ष में रहते हुए…कांग्रेस ने भ्रष्टाचार को रोकने-हटाने और सांठ-गांठ वाली व्यवस्था को खत्म करने के लिए कोई भी प्रतिबद्धता जतायी है?

वित्त मंत्री ने कहा कि 2009-10 और 2013-14 के बीच वाणिज्यिक बैंकों ने 1,45,226 करोड़ रुपये के ऋणों को बट्टे खाते में डाला था. ‘‘काश! गांधी (राहुल) ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से इस राशि को बट्टे खाते में डाले जाने के बारे में पूछा होता. उन्होंने उन मीडिया रपटों का भी हवाला दिया जिसमें रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा था कि अधिकतर फंसे कर्ज 2006-2008 के दौरान बांटे गये. अधिकतर कर्ज उन प्रवर्तकों को दिये गये जिनका जानबूझकर ऋण नहीं चुकाने का इतिहास रहा है.

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सीतारमण ने कहा कि ऋण लेने वाले ऐसे लोग जो ऋण चुकाने की क्षमता रखते हुए भी ऋण नहीं चुकाते, कोष की हेरा-फेरी करते हैं और बैंक की अनुमति के बिना सुरक्षित परिसंपत्तियों का निपटान कर देते हैं, उन्हें डिफॉल्टर कहते हैं. यह सभी ऐसे प्रवर्तक की कंपनियां रहीं जिन्हें संप्रग (कांग्रेस नीत पूर्ववती गठबंधन सरकार) की ‘फोन बैंकिंग’ का लाभ मिला. वित्त मंत्री ने एक ट्वीट और कर 18 नवंबर 2019 को लोकसभा में इस संबंध में पूछे गये एक प्रश्न के जवाब का उल्लेख भी किया. यह जवाब डिफॉल्टरों की सूची से संबंधित था. ‘फोन बैकिंग’ भाजपा का एक राजनीतिक हथियार है. इससे वह यूपीए सरकार पर सत्तासीन लोगों के बैंक प्रबंधनों को फोन करके अपने पसंद के लोगों को ऋण देने की सिफारिश करने का आरोप लगाती रही है.

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