अजय विद्यार्थी
कोलकाता : आठ मई को रवींद्र जयंती व 29 अप्रैल को विश्व नृत्य दिवस है. पश्चिम बंगाल में रवींद्र जयंती काफी धूमधाम से मनायी जाती रही है और विश्व नृत्य दिवस पर भी नृत्य से जुड़ी हुई संस्थाएं अपनी कला का प्रदर्शन करते रही हैं, लेकिन इस वर्ष कोविड-19 की महामारी और लॉकडाउन के कारण न तो नृत्य और न ही संगीत का मंच जमेगा, वरन इस वर्ष संस्थाओं ने ऑनलाइन कार्यक्रम आयोजित करने की तैयारी शुरू कर दी है.
भारतनाट्यम, कुचुपुड़ी, कथक की प्रसिद्ध नृत्यांगना व आदित्य क्रिएशंस की संस्थापक सुचिस्मिता आदित्य सरकार कहती हैं : इस लॉकडाउन ने सभी को घर में बंद कर दिया है, लेकिन बंद घरों में भी कलाकारों की रचनात्मकता उभर कर सामने आ रही है. सभी कलाकार चाह रहे हैं कि फिर से पहले की ही तरह काम पर लौटें. वाट्सएप, जूम व इंस्टाग्राम जैसे सोशल साइट्स से नृत्य का अभ्यास कर रहे हैं. क्लासेंस हो रही हैं, लेकिन इसमें संतोष नहीं मिल रहा है, लेकिन इसमें ही रास्ता निकालना होगा.
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जो गाना गाते हैं, गाना गायें. कविता लिखते हैं, कविता लिखें. तस्वीर बनाते हैं, तस्वीर बनायें और अधिक से अधिक रियाज और प्रैक्टिश करें. मैं भी ऑनलाइन ही क्लास करवा रही हूं, लेकिन जो संतोष साथ में बच्चों को हाथ पकड़ कर सीखने का है, वह ऑनलाइन क्लासेस में नहीं है. 29 अप्रैल विश्व नृत्य दिवस है. आठ मई को रवींद्र जयंती है. इस वर्ष पहले की तरह तैयारी नहीं करवा पा रहे हैं. इस वर्ष ऑनलाइन कार्यक्रम होंगे. बच्चों से कहा कि वे खुद ही गीत व संगीत तैयार करें. उस दिन ऑनलाइन कार्यक्रम किया जायेगा. खुद की क्रिएटिविटी को बाहर निकालना होगा.
कुछ लोग लॉकडाउन का पालन नहीं कर रहे हैं. लॉकडाउन तोड़ने का समर्थन नहीं करेंगे. यदि कोई लॉकडाउन मानने के लिए कह रहा है, तो निश्चित ही कुछ बात है. हम कैसे समझेंगे कि हमें कुछ नहीं होगा. हम डॉक्टर नहीं हैं. डॉक्टर भी समझ नहीं पा रहे हैं. जिन्हें बहुत जरूरत नहीं है. उन्हें घर में ही रहना चाहिए. आने वाले अच्छे दिन के लिए कुछ करना ही होगा.
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उन्होंने कहा कि एक अद्भुत रोग पूरे विश्व में फैला है. लोग स्वस्थ रहें, जितना जल्दी हो सके. सभी अपने कर्मस्थल की ओर से फिर से लौट पायें. यह ईश्वर से प्रार्थना है. हम कलाकार भगवान के लिए नृत्य करते हैं. मनुष्य अरोग्य लाभ करें. इस रोग से पृथ्वी मुक्त हो. हम कुछ कार्य नहीं कर पा रहे हैं. एक ओर हम काम नहीं कर पा रहे हैं, लेकिन दूसरी ओर पर्यावरण पूरी तरह से प्रदूषण से मुक्त हो गयी है. प्रकृति का नया रूप निखर कर सामने आया है. हम पर्वत व नदियों के असली स्वरूप को देख पा रहे हैं. प्रदूषण के कारण कई पक्षी नहीं आ पा रहे थे. उन्हें हम देख पा रहे हैं. इस लॉकडाउन का यह नया रूप उभरा है, जो हमें संदेश दे रहा है कि प्रकृति जीवित रहेगी, तभी हम और आप जीवित रहेंगे.