नयी दिल्ली : रिपब्लिकन टीवी के प्रधान संपादक अर्णब गोस्वामी से मुंबई पुलिस ने सोमवार को करीब साढ़े 12 घंटे पूछताछ की है. एन एम जोशी मार्ग पुलिस थाने में गोस्वामी से पूछताछ की गयी है. अर्णब गोस्वामी पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ कथित तौर पर अपमानजनक टिप्पणी करने के मामले में शिकायत दर्ज की गयी है.
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पत्रकार अर्णब गोस्वामी की कार पर हमला मामला में दो आरोपियों को मुंबई की एक अदालत ने सोमवार को जमानत दे दी. पिछले हफ्ते गोस्वामी की कार पर उस समय हमला हुआ था जब वह देर रात स्टूडियो से घर लौट रहे थे. एनएम जोशी मार्ग पुलिस ने कहा था कि गणपतराव कदम मार्ग पर दो मोटरसाइकिल सवार लोगों ने गोस्वामी की कार के शीशे कथित तौर पर तोड़ने की कोशिश की थी. दादर की भोईवाड़ा अदालत के मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट एसवी पिंपले ने 15,000 रुपये के मुचलके पर दोनों को जमानत दे दी.
उच्चतम न्यायालय ने रिपब्लिकन टीवी के प्रधान संपादक अर्णब गोस्वामी को शुक्रवार को बड़ी राहत देते हुये उन्हें उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी के मामलों में तीन सप्ताह तक किसी भी दंडनीय कार्रवाई से संरक्षण प्रदान कर दिया.
महाराष्ट्र के पालघर में हाल ही में दो साधुओं सहित तीन व्यक्तियों की पीट पीट कर की गई हत्या की घटना के संदर्भ में गोस्वामी द्वारा अपने एक न्यूज कार्यक्रम के दौरान कांग्रेस की मुखिया सोनिया गांधी के खिलाफ कथित मानहानिकारक बयानों को लेकर विभिन्न राज्यों में उनके खिलाफ कई प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थीं.
न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने वीडियो कांफ्रेन्सिग के माध्यम से सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी, कपिल सिब्बल और विवेक तन्खा की दलीलों को सुनने के बाद यह आदेश दिया.
पीठ ने अपने आदेश में 22 अप्रैल, 2020 को नागपुर शहर के सदर थाने में गोस्वामी के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी के अलावा छत्तीसगढ़ सहित कई राज्यों में दायर तीन अन्य प्राथमिकी और 11 शिकायतों के मामलों में आगे कार्यवाही पर रोक लगा दी.
पीठ ने कहा कि निष्पक्ष दंड न्याय प्रशासन के हित में यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि एक ही मामले में कई राज्यों में दायर अनेक शिकायतों की वजह से यह प्रक्रिया संताप देने वाली कवायद न बन जाये. गोस्वामी ने अपनी याचिका में कहा है कि जो प्राथमिकी पहले दर्ज की जा चुकी हैं और अभी जिनकी अपेक्षा है, सभी रिपब्लिक टीवी पर 16 अप्रैल और आर भारत पर 21 अप्रैल को प्रसारित कार्यक्रम से संबंधित हैं जो भारत में कोविड-19 के मामलों की जांच के उपायों और पालघर में 16 अप्रैल को तीन व्यक्तियों की भीड़ द्वारा की गयी हत्या के बारे में कांग्रेस के एक सदस्य की टिप्पणी के सिलसिले में थी.
पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘तीन सप्ताह के लिये, याचिकाकर्ता को 21 अप्रैल, 2020 को प्रसारित कार्यक्रम से संबंधित किसी भी और मामले (नागपुर मामले) की प्राथमिकता के संबंध में किसी भी दंडात्मक कदम से संरक्षण प्राप्त रहेगा.’ न्यायालय ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (क) के तहत प्रदत्त बोलने और अभिव्यक्ति की आजादी के दायरे में कानून के लिये पत्रकारिता की आजादी की रक्षा करने की आवश्यकता है.
पीठ ने कहा कि तीन सप्ताह की इस अवधि के दौरान याचिकाकर्ता को दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 438 के तहत अग्रिम जमानत के लिये आवेदन करने और कानून के अनुसार उपलब्ध दूसरे विकल्पों का सहारा लेने की छूट है. न्यायालय ने कहा कि ऐसे आवेदन पर सक्षम अदालत इसकी गुणवत्ता के आधार पर विचार करेगी. पीठ ने इसी घटना को लेकर गोस्वामी के खिलाफ कोई नयी प्राथमिकी या शिकायत दायर करने के मामले में किसी भी कार्यवाही पर रोक लगा दी.