रांची : रिम्स के ओल्ड ट्रॉमा सेंटर में बनाये गये इमरजेंसी लेबर रूम में रविवार को गंभीर अवस्था में एक गर्भवती को भर्ती कर इलाज किया गया. महिला चिकित्सक डॉ अर्चना कुमारी ने प्रयास कर इस महिला की जान बचायी. छह घंटे तक पीपीई किट पहन कर लगातार इलाज करती रही, लेकिन उनको अन्य किसी का सहयोग नहीं मिला.
महिला के इलाज के लिए डॉ अर्चना ने रिम्स प्रबंधन से एनेस्थिसिया, रेडियोलॉजी व सर्जरी विभाग के डॉक्टरों से सहयोग मांगा, लेकिन कोई समय पर नहीं पहुंचा. रेडियोलॉजी विभाग से एक पीजी के प्रथम वर्ष की स्टूडेंट को भेज दिया गया. स्त्री विभाग द्वारा इसकी जानकारी निदेशक को दी गयी.
इस पर निदेशक ने मामले को गंभीरता से लेते हुए अधीक्षक व उपाधीक्षक से पूरे मामले की जानकारी मांगी है. जांच कर यह बताने के लिए कहा गया है कि आखिर किस परिस्थिति में पीजी स्टूडेंट को भेज दिया गया. अगर महिला की जान चली जाती, तो इसका जिम्मेदार कौन होता.