विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने एक ट्वीट में कहा था कि इस बात के सबूत नहीं है कि कोरोनावायरस को मात देने वाले लोगों के शरीर में एंटीबॉडीज डेवलप होती हैं. उन्हें दूसरे संक्रमण से सुरक्षा मिलती है, इसका भी कोई सबूत नहीं है. बाद में यह ट्वीट डिलीट कर दिया गया. दरअसल, चीन और दक्षिण कोरिया में ऐसे कई मामले सामने आए हैं जहां कोरोना से रिकवर हो चुका मरीज फिर से पॉजिटिव निकल रहा है. चीन के वुहान के डॉक्टर्स ने यह पाया कि कई मामलों में रिकवरी के बाद पेशेंट टेस्ट में नेगेटिव आया. मगर 50 से 70 दिन बाद फिर टेस्ट पॉजिटिव निकला.
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शायद इसी आधार पर डब्लूएचओ ने कोरोना सर्वाइवर को लेकर अपनी टिप्पणी की थी. उल्लेखनीय है कि इससे पहले डब्ल्यूएचओ चीफ ने दावा किया था कि कोरोना अभी अपना और भयंकर रूप दिखाने वाला है और यह हमारे साथ लंबे वक्त तक रहेगा. उन्होंने यह बात कुछ देशों में लॉकडाउन को दी जा रही ढील को देखते हुए कही थी.
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Patients who fully recover from a viral infection are TYPICALLY immune. Immunity may last for months or years; that varies.
Absence of evidence is not evidence of absence.
Let’s not scare people. Unnecessarily. https://t.co/KFYd1GX2vZ
— Faheem Younus, MD (@FaheemYounus) April 25, 2020
WHO के इसी ट्वीट को कोट करते हुए अमेरिका की यूनिवर्सिटी और मैरीलैंड में इन्फेक्शियस डिलीजेज के चीफ फहीम यूनुस ने कहा कि लोगों को बेवजह डराने की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि वायरल इन्फेक्शन से पूरी तरह रिकवर होने वाले मरीज आमतौर पर इम्यून हो जाते हैं. यह इम्यूनिटी महीनों से लेकर सालों तक चल सकती है. उन्होंने यह भी कहा कि सबूतों का अभाव, अभाव का सबूत नहीं है.
डॉक्टर के इस ट्वीट के कुछ देर बाद ही, WHO ने अपना ट्वीट डिलीट कर दिया. डॉ यूनुस ने कोरोना मरीजों के फिर से पॉजिटिव मिलने की दो वजहें भी गिनाई. उन्होंने कहा कि हो सकता है कि पहले हुआ टेस्ट गलत हो. साउथ कोरिया से भी ऐसा ही सामने आया था. जहां ठीक हो चुके करीब 200 मरीज फिर से पॉजिटिव मिले थे मगर उन्होंने किसी और में इन्फेक्शन नहीं फैलाया.
WHO ने इसके बाद ताज़ा ट्वीट में पहले ट्वीट के उलट दावा किया है. WHO ने पहला ट्वीट डिलीट करने के बाद अब लिखा है, “हम उम्मीद करते हैं कि जो लोग कोविड19 से संक्रमित हुए उनमें एंडीबॉडी का निर्माण होगा और इससे उन्हें एक हद तक सुरक्षा मिलेगी.”
Thank you @NateSilver538, @dylanhmorris, @drannehuang, @ericMstrauss, @Laurie_Garrett and others for your constructive input.
— World Health Organization (WHO) (@WHO) April 25, 2020