coronavirus in west bengal : कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद स्वस्थ हुए लोगों के रक्त में मौजूद प्लाज्मा कोरोना के लिए रामबाण साबित हो रहा है. अब खबर है कि अगले सप्ताह से राज्य सरकार भी इस प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल इलाज के लिए करेगी. इसकी पुष्टि स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों ने शनिवार को की. दरअसल एक दिन पहले ही दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने संवाददाता सम्मेलन के दौरान दावा किया था कि जो लोग संक्रमण से ठीक हो चुके हैं, उनके खून के प्लाज्मा कोरोना के इलाज में कारगर साबित हो रहे हैं.
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माना जा रहा है कि यह थेरेपी कोविड-19 को हराने में मददगार साबित हो सकती है. स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों ने बताया कि अब तक पश्चिम बंगाल में 103 ऐसे रोगी हैं, जो कोरोना संक्रमण में इलाज के बाद स्वस्थ हो चुके हैं. इसमें से एक रोगी का चयन फिलहाल परीक्षण के लिए किया गया है. उसके खून के नमूने को लेकर उसके प्लाज्मा का इस्तेमाल अन्य रोगियों पर किया जायेगा. डॉक्टरों ने बताया है कि जो लोग कोरोना से स्वस्थ हो चुके हैं, उनके खून दूसरे रोगियों में चढ़ाने पर शरीर के अंदर एंटीबॉडी बनता है, जिससे कोरोना संक्रमण से मुक्ति मिल रही है.
प्राथमिक तौर पर अगले सप्ताह कोलकाता के सरकारी अस्पताल में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल बायोलॉजी और सीएमआइआर के संयुक्त तत्वावधान से इसका परीक्षण शुरू किया जायेगा. अगर यह सफल रहा, तो दूसरे लोगों से सहमति के बाद उनके खून को संक्रमित लोगों में चढ़ाया जायेगा, ताकि संक्रमितों का जल्द से जल्द सफल इलाज किया जा सके.
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प्लाज्मा थेरेपी में कोरोना संक्रमण से मुक्त व्यक्तियों के खून से प्लाज्मा निकाल कर दूसरे कोरोना संक्रमित रोगी को चढ़ाया जाता है. असल में संक्रमण से ठीक हुए व्यक्ति के शरीर में उस वायरस के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता बन जाती है और तीन हफ्ते बाद उसे प्लाज्मा के रूप में संक्रमित व्यक्ति को दिया जा सकता है, ताकि उसके शरीर में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ने लगे. प्लाज्मा को संक्रमण से ठीक हुए व्यक्ति के खून से अलग कर निकाला जाता है. एक बार में एक संक्रमण से ठीक हुए व्यक्ति के शरीर से 400 एमएल प्लाज्मा निकाला जा सकता है. इस 400 एमएल प्लाज्मा को दो संक्रमित मरीजों को दिया जा सकता है.