नयी दिल्ली : वैश्विक महामारी कोविड-19 के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लागू देशव्यापी लॉकडाउन को एक महीना पूरा हो गया और चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि भारत ने सही समय पर सही फैसला लेकर खुद को अमेरिका और यूरोप जैसी स्थिति में पहुंचने से बचा लिया, … वहीं कुछ की राय में बड़ी परीक्षा अभी बाकी है .
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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 24 मार्च की रात आठ बजे देश में लॉकडाउन की घोषणा की थी , जो उसी दिन आधी रात को लागू हो गया था. भारत में कोविड-19 का पहला मामला 30 जनवरी को सामने आया था और ठीक 54 दिन बाद 25 मार्च को देश में कोरोना वायरस के 519 पुष्ट मामले थे और 11 लोगों की इससे जान जा चुकी थी.
25 मार्च को देश में लग चुका था लॉकडाउन, जो कोविड-19 से निपटने की लड़ाई में भारत का सबसे बड़ा हथियार साबित हुआ है. भारत में लॉकडाउन के एक माह पूरे होने पर अब देश में कोविड-19 के 23,000 से अधिक मामले हैं और 718 लोगों की इससे जान जा चुकी है.
वहीं विश्वभर में इससे 27.3 लाख से अधिक लोग संक्रमित हैं और 1.91 लाख से अधिक लोगों की जान जा चुकी है. कोरोना वायरस से अमेरिका और ब्रिटेन तथा कुछ यूरोपीय देश सर्वाधिक प्रभावित हैं. प्रधानमंत्री ने 14 अप्रैल को 21 दिन का लॉकडाउन खत्म होने से पहले ही इसे अतिरिक्त 19 दिन यानी तीन मई तक बढ़ा दिया था.
ऐसा करने का कारण देश में कोविड-19 के लगातार बढ़ते मामले और अमेरिका तथा अन्य पश्चिमी देशों से वायरस के प्रकोप की सामने आ रही भयावह तस्वीरें थीं. श्री गंगा राम अस्पताल में फेफड़ों के सर्जन डॉ. अरविंद कुमार ने कहा कि एक महीने का लॉकडाउन भारत के लिए काफी फायदेमंद रहा और देश अमेरिका या यूरोप जैसी स्थिति में पहुंचने से भी बच गया.
उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘ अधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि इसने स्वास्थ्य सेवाओं और अन्य सहयोगी सेवाओं को तैयार होने के लिए 30 दिन दिए ताकि वह आने वाले दिनों में वायरस के प्रकोप से निपट पाएं.”
कुमार ने कहा, ‘‘ लॉकडाउन को बेहद धीरे-धीरे हटाना चाहिए. स्कूल, कॉलेज, मॉल, सिनेमाघर, धार्मिक स्थल और बाजार जैसी सुविधाएं मई में भी बंद रहनी चाहिए.” ‘फोर्टिस एस्कॉर्ट्स’ (फरीदाबाद) के पल्मोनोलॉजी विभाग के प्रमुख रवि शेखर झा ने भी सरकार के लॉकडाउन लगाने के निर्णय की सराहना करते हुए कहा कि यह निर्णय सही समय पर ले लिया गया.
उन्होंने हालांकि असली चुनौती के अब सामने आने की बात कही और साथ ही सबसे अधिक प्रभावित इलाकों की पहचान कर वहां केवल जरूरी सेवाओं को अनुमति देने पर जोर दिया. ‘मैक्स हैल्थकेयर’ के इंटरनल मेडिसन के एसोसिएट डायरेक्टर डॉ. रोमेल टिक्कू ने कहा कि अमेरिका और यूरोप से तुलना करें तो भारत में लॉकडाउन काफी कारगर साबित हुआ है. लॉकडाउन के बाद भारत के समक्ष पेश होने वाली चुनौतियों के सवाल पर उन्होंने कहा कि चरणबद्ध तरीके से प्रतिबंध हटाए जाने चाहिए.