नयी दिल्ली : भारत पर प्रत्यर्पण नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए डॉन अबू सलेम ने पुर्तगाल कोर्ट में याचिका दायार की थी. पुर्तगाल कोर्ट में दायर याचिका को लिस्बन प्रशासनिक कोर्ट ने खारिज कर दिया. को लिस्बन प्रशासनिक कोर्ट के इस फैसले के साथ ही सलेम की चालबाजी की हवा निकल गयी.
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कोर्ट में सलेम की तरफ से दायार की गयी याचिका में सलेम ने भारत पर गंभीर आरोप लगाये थे जिसमें उसने कहा था कि भारत नियमों का पालन नहीं कर रहा ना ही उन शर्तों का पालन कर रहा है जो प्रतयर्पण नियमों में है. इस फैसले के साथ ही सलेम की चाल नाकाम हो गयी.
यह पहली बार नहीं है जब भारत के खिलाफ सलेम ने इस तरह के आरोप लगाये हैं इससे पहले भी उसने साल 2014 में इसी तरह की याचिका दायार की थी. इस बार सलेम की याचिका खारिज करते हुए कोर्ट ने सीधे कहा, यह उसका क्षेत्राधिकार नहीं है, क्योंकि यह मामला राजनीतिक और कूटनीतिक है. कोर्ट ने कहा कि सलेम की दलीलें प्रशासनिक प्रकृति की नहीं, बल्कि राजनीतिक और कूटनीतिक है, जो अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत आता है
सलेम पर कई तरह के गंभीर मामले चल रहे हैं. अबू सलेम 1995 में बिल्डर प्रदीप जैन हत्या केस और 1993 के मुंबई सीरियल बम धमाकों में दोषी पाया गया है. सलेम को कोर्ट ने 25 साल कैद की सजा सुनायी है. उसे 20 सितंबर साल 2000 को पुर्तगाल के लिस्बन से गिरफ्तार किया गया था. भारत और पुर्तगाल की प्रत्यर्पण संधि के कारण भारत लागा आसान हो गया. पुर्तगाल ने यह शर्त रखी थी सलेम को फांसी की सजा नहीं दी जायेगा. उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ में पैदा हुआ अबू सलेम अमीर बनने का सपना देखता था. इसी सपने ने उसे अंडरवर्ल्ड का डॉन बना दिया.