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Ramadan 2020 : शुरू हाेने वाला है रमजान का पाक महीना, जानें क्यों रखे जाते हैं रोजे

Ramadan Start 2020 : इस्लाम धर्म के अनुयायियों के लिए सबसे पाक महीना रमजान शुरू होने वाला है. यदि चांद 24 अप्रैल को दिखाई देता है तो 25 अप्रैल से रमज़ान का महीना शुरू हो जाएगा.इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार नौवें महीने को रमजान का महीना माना गया है.इस साल कोरोना संक्रमण के कारण लॉकडाउन लागू है और इसलिए इबादत और इफ्तार घरों में रहकर सोशल डिस्टेंसिग के नियमों का पालन करते हुए ही होगा.पूरे महीने मुसलमान रोजाना रोजे रखकर इबादत करेंगे. इस महीने सारे मुसलमान रोजा रखते हैं.रोजा में लोग बिना खाए-पिए एक निर्धारित समय अवधि के लिए रोज अल्लाह के इबादत के साथ रहते हैं.रोजा के दौरान सुबह सहरी और शाम में इफ्तार किया जाता है.आइये जानते हैं रमज़ान के महीने में रोजे रखने के पीछे की कहानी..

Ramadan Start 2020 : इस्लाम धर्म के अनुयायियों के लिए सबसे पाक महीना रमजान शुरू होने वाला है. यदि चांद 24 अप्रैल को दिखाई देता है तो 25 अप्रैल से रमज़ान का महीना शुरू हो जाएगा.इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार नौवें महीने को रमजान का महीना माना गया है.इस साल कोरोना संक्रमण के कारण लॉकडाउन लागू है और इसलिए इबादत और इफ्तार घरों में रहकर सोशल डिस्टेंसिग के नियमों का पालन करते हुए ही होगा.पूरे महीने मुसलमान रोजाना रोजे रखकर इबादत करेंगे. इस महीने सारे मुसलमान रोजा रखते हैं.रोजा में लोग बिना खाए-पिए एक निर्धारित समय अवधि के लिए रोज अल्लाह के इबादत के साथ रहते हैं.रोजा के दौरान सुबह सहरी और शाम में इफ्तार किया जाता है.आइये जानते हैं रमज़ान के महीने में रोजे रखने के पीछे की कहानी..

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रोजा रखने के पीछे की मान्यता यह है कि रमजान के महीने में ही पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब को अल्लाह ने अपनी पाक किताब कुरान शरीफ दिया. इस्लाम धर्म के अनुयायी ऐसा मानते हैं कि इस माह में अल्लाह जन्नत के दरवाजे खोल देते हैं.इस महीने अपने कर्मों से लोग जन्नत पाते हैं.ऐसा माना जाता है कि रोजा रखने व रोजा का नमाज पढ़ने से अल्लाह इसका सवाब देते हैं.

कैसे रखा जाता है रमजान में रोजा-

सुबह ‘सादिक’ यानी सूर्योदय से पहले से लेकर शाम ‘गुरुब’ यानी सूर्यास्त तक कुछ भी खाना-पीना वर्जित रहता है. रोजा के दौरान सुबह सहरी और शाम में इफ्तार किया जाता है. इसी समय खाने-पीने की इजाजत है. इस्लाम धर्म में ऐसा माना जाता है कि रोजा केवल मुंह का ही नही होता है. इसके साथ-साथ हाथ ,कान,नाक,जुबान,व आंखों के भी रोजे होते हैं यानी इस समय किसी तरह के बुरे कार्यों,बुरा देखने,सुनने,बोलने इत्यादि से बचकर रहा जाता है. तभी रोजेदार के रोजे को सफल माना जाता है.

इस्लाम धर्म मे रमजान के महीने को सब्र का महीना माना जाता है. बुरी चीजों पर व खुद पर कैसे नियंत्रण किया जाए यह रमजान के महीने का संदेश होता है. गरीबों की मदद कर उन्हें भी रोजे के दौरान इबादत के लिए लाया जाता है. सभी मिलकर इबादत करते हैं.यह नेकियां और खुद पर संयम करने का महीना माना गया है.

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