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जरूरी वित्तीय पहल

कोरोना वायरस के संक्रमण से पैदा हुई अभूतपूर्व चुनौतियों ने भारत समेत समूची दुनिया की अर्थव्यवस्था को तबाह कर दिया है और यह सिलसिला अगले कई महीनों तक जारी रहने की आशंका जतायी जा रही है. ऐसे में सरकारों के सामने संक्रमण को रोकने और लोगों की जान बचाने के साथ आर्थिक संकट से जूझने की गंभीर समस्या है.

कोरोना वायरस के संक्रमण से पैदा हुई अभूतपूर्व चुनौतियों ने भारत समेत समूची दुनिया की अर्थव्यवस्था को तबाह कर दिया है और यह सिलसिला अगले कई महीनों तक जारी रहने की आशंका जतायी जा रही है. ऐसे में सरकारों के सामने संक्रमण को रोकने और लोगों की जान बचाने के साथ आर्थिक संकट से जूझने की गंभीर समस्या है. भारत सरकार की ओर से उद्योगों, वित्तीय संस्थाओं और आम लोगों को राहत और मदद देने के लिए लगातार घोषणाएं की जा रही हैं. रिजर्व बैंक भी अपने स्तर पर इस कोशिश में अहम योगदान दे रहा है. बाजार में नकदी की प्रवाह को सुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय बैंक ने रिवर्स रेपो रेट को घटाकर 3.75 फीसदी कर दिया है. ऐसी कटौती आगे भी होने की संभावना है.

इसके अलावा विभिन्न गैर-बैंकिंग संस्थाओं को धन उपलब्ध कराने की घोषणा भी की गयी है. बैंकों को कुछ नियमों में छूट दी गयी है, जिससे कारोबारियों और आम जन के लिए नकदी मुहैया कराने में आसानी होगी. पचास हजार करोड़ की पूंजी बाजार में आने से खेती, आवास और कारोबारी कर्ज देने में आसानी होगी. लॉकडाउन की वजह से औद्योगिक और अन्य आर्थिक गतिविधियों में बड़े पैमाने पर रुकावट की वजह से तमाम तरह के कारोबार मुश्किल में हैं. बेरोजगारी बेतहाशा बढ़ रही है और कामगारों के पलायन से एक ओर ग्रामीण आर्थिकी पर दबाव बढ़ने की आशंका है, तो दूसरी तरफ शहरी क्षेत्रों में कारोबारी भविष्य पर सवालिया निशान लग गया है.

ऐसे में रिजर्व बैंक और सरकार से ही उम्मीदें बंधी हुई हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सही ही कहा है कि रिजर्व बैंक की पहलकदमी से छोटे कारोबारियों, लघु उद्योगों, किसानों और गरीब तबके को मदद मिलेगी. जैसा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रेखांकित किया है कि रिजर्व बैंक के फैसलों से संकुचन और अवरोध की शिकार पूरी आर्थिकी में नकदी आयेगी, जो अभी सबसे जरूरी है. यदि बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थाओं के पास धन होगा और वे उन्हें निर्गत कर सकेंगे, तो वित्तीय दबाव में कमी आयेगी तथा बाजार सुचारू रूप से गतिशील होने की स्थिति में होगा.

यदि उत्पादन और बाजार की गतिविधियों का संचालन होता रहेगा, तो लॉकडाउन खुलने के बाद अर्थव्यवस्था को संभालने में बड़ी मदद मिलेगी. ऐसी पहलकदमी और सरकार की ओर से घोषित वित्तीय पैकेज से कोरोना संक्रमण और तालाबंदी के मौजूदा झटकों को बर्दाश्त किया जा सकता है. लेकिन, हमें यह भी समझना होगा कि भविष्य की स्थिति और संकट का आकार इस बात पर निर्भर करता है कि हम किस कुशलता और सफलता के साथ कम-से-कम समय में संक्रमण पर नियंत्रण कर पाते हैं तथा आर्थिक गतिविधियों को फिर से सामान्य स्तर पर ला पाते हैं.

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