युवराज सिंह का मानना है कि किसी भी कप्तान का अपना मनपसंद खिलाड़ी होना आम बात है और जब बात महेंद्र सिंह धौनी की आती है तो वह सुरेश रैना थे जिसे इस पूर्व भारतीय कप्तान का समर्थन हासिल था. भारत के सीमित ओवरों के महानतम क्रिकेटरों में से एक युवराज ने बताया कि किस तरह 2011 विश्व कप के दौरान धोनी को चयन को लेकर सिरदर्द का सामना करना पड़ा जब उन्हें अंतिम एकादश में उनके, यूसुफ पठान और सुरेश रैना में से किसी दो को चुनना था. युवराज ने ‘स्पोर्ट्स तक’ से कहा, ‘‘सुरेश रैना को तब काफी समर्थन हासिल था क्योंकि धौनी उसका समर्थन करता था.
सभी कप्तानों के पसंदीदा खिलाड़ी होते हैं और मुझे लगता है कि उस समय माही ने रैना का काफी समर्थन किया. ” अंतत: तीनों खिलाड़ियों ने अंतिम एकादश (पठान को हालांकि टूर्नामेंट के बीच में अंतिम एकादश से हटा दिया गया) में जगह बनाई और युवराज की भारत को खिताब दिलाने में अहम भूमिका रही. उन्होंने कहा, ‘‘उस समय यूसुफ पठान भी अच्छा प्रदर्शन कर रहा था और मैं भी अच्छा कर रहा था और विकेट भी हासिल कर रहा था.
रैना उस समय अच्छी लय में नहीं था. ” युवराज ने कहा, ‘‘उस समय हमारे पास बायें हाथ का स्पिनर नहीं था और मैं विकेट हासिल कर रहा था इसलिए उनके पास कोई और विकल्प नहीं था. ” युवराज ने खुलासा किया कि उन्होंने 2007 टी20 विश्व कप के दौरान जब स्टुअर्ट ब्राड के ओवर में छह छक्के जड़े थे तो उनके बल्ले पर सवाल उठाए गए थे जिसके बाद मैच रैफरी ने उनके बल्ले की जांच की थी.
उन्होंने कहा, ‘‘उस समय आस्ट्रेलियाई कोच मेरे पास आया था और मेरे से पूछा था कि क्या मेरे बल्ले के पीछे फाइबर लगा है और क्या यह वैध है. ” युवराज ने कहा, ‘‘यहां तक कि एडम गिलक्रिस्ट ने भी मेरे से पूछा कि हमारे बल्ले कौन बनाता है. इसलिए मैच रेफरी ने भी मेरे बल्ले की जांच की. लेकिन ईमानदारी से कहूं तो वह बल्ला मेरे लिए विशेष था. मैं इससे पहले बल्ले के साथ ऐसे कभी नहीं खेला. वह बल्ला और 2011 विश्व कप का बल्ला विशेष था.
” युवराज ने युवा प्रतिभा को निखारने के लिए सौरव गांगुली की सराहना की और बीसीसीआई के मौजूदा अध्यक्ष को अपना पसंदीदा कप्तान चुना. उन्होंने कहा, ‘‘दादा मेरे पसंदीदा कप्तान हैं. उन्होंने मेरा काफी समर्थन किया, सबसे अधिक. हम युवा थे इसलिए उन्होंने प्रतिभा को भी निखारा.