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सुनील गावस्कर द्वारा 49 साल पहले बनाया गया ये रिकॉर्ड आज भी है कायम

सुनील गावस्कर ने 19 अप्रैल 1971 को वेस्टइंडीज की धरती पर एक ऐसा रिकार्ड स्थापित किया था आज भी अछूता है. वो है पदार्पण टेस्ट श्रृंखला में सर्वाधिक रन बनाने का रिकार्ड.

गावस्कर को भारतीय क्रिकेट इतिहास में महान खिलाड़ीयों में शुमार किया गया है. लेकिन इस दिग्गज क्रिकेटर द्वारा बनाया एक रिकॉर्ड शायद बहुत कम लोगों को याद होगा. जो आज से 49 साल पहले बना था. भारत के इस पूर्व कप्तान और दिग्गज सलामी बल्लेबाज सुनील गावस्कर ने 19 अप्रैल 1971 को वेस्टइंडीज की धरती पर एक ऐसा रिकार्ड स्थापित किया था आज भी अछूता है. वो है पदार्पण टेस्ट श्रृंखला में सर्वाधिक रन बनाने का रिकार्ड. गावस्कर ने पांच टेस्ट मैचों की उस श्रृंखला के चार मैचों में 774 रन बनाए थे.

उन्होंने तब वेस्टइंडीज के ही जार्ज हैडली का 51 साल पुराना रिकार्ड तोड़ा था जिन्होंने 1930 में इंग्लैंड के खिलाफ अपनी सरजमीं पर चार टेस्ट मैचों में 703 रन बनाए थे. घरेलू स्तर पर अच्छे प्रदर्शन के कारण सलामी बल्लेबाज के तौर पर वेस्टइंडीज दौरे पर गए गावस्कर किंग्सटन में पहले टेस्ट मैच में नहीं खेल पाए थे. उन्होंने पोर्ट ऑफ स्पेन में दूसरे टेस्ट में पदार्पण किया तथा 65 और नाबाद 67 रन की अर्ध्दशतकीय पारियां खेली. इस पूरी श्रृंखला में केवल एक पारी को छोड़कर गावस्कर ने प्रत्येक पारी में 50 से अधिक रन बनाए. इनमें चार शतक भी शामिल हैं. पोर्ट ऑफ स्पेन में खेले गए श्रृंखला के पांचवें और अंतिम टेस्ट मैच में तो उन्होंने रिकार्डों की झड़ी लगा दी थी.

यही वजह थी इस श्रृंखला में गावस्कर के प्रदर्शन से ही प्रेरित होकर त्रिनिदाद के लार्ड रिलेटर यानि विलार्ड हैरिस ने कैलिप्सो लिखा था कि वेस्टइंडीज गावस्कर को आउट ही नहीं कर सकता. पोर्ट ऑफ स्पेन में पांचवें टेस्ट मैच में भारतीय कप्तान अजित वाडेकर ने टॉस जीता और पहले बल्लेबाजी का फैसला किया. गावस्कर ने पहली पारी में 124 रन की लाजवाब पारी खेली. भारत ने 360 रन बनाए जिसके जवाब में वेस्टइंडीज ने 526 रन बनाए. स्वाभाविक था भारतीय टीम दबाव में थी. ऐसे में गावस्कर ने जिम्मा संभाला और 220 रन की लाजवाब पारी खेली.

वह विजय हजारे (1947-48) के बाद टेस्ट मैच की दोनों पारियों में शतक जड़ने वाले पहले भारतीय बल्लेबाज बन गए थे. वह डग वाल्टर्स के बाद एक टेस्ट मैच में शतक और दोहरा शतक जड़ने वाले दुनिया के दूसरे बल्लेबाज बन गए थे. यह नहीं भूलना चाहिए कि मैच की पूर्व संध्या से ही गावस्कर के दांत में दर्द था और उन्होंने इस दर्द के साथ यह पूरा मैच खेला था. अपनी इन दो पारियों से गावस्कर ने श्रृंखला में अपनी रन संख्या 774 रन पर पहुंचा दी. तब से लेकर आज तक कोई भी बल्लेबाज अपनी पदार्पण टेस्ट श्रृंखला में इससे अधिक रन नहीं बना पाया. इसके बाद विव रिचर्डस (इंग्लैंड के खिलाफ 1976 में 829 रन), मार्क टेलर (इंग्लैंड के खिलाफ 1989 में 839 रन) और ब्रायन लारा (इंग्लैंड के खिलाफ 1993-94 में 798 रन) ने एक श्रृंखला में गावस्कर से अधिक रन बनाए.

पिछले साल ऑस्ट्रेलिया के स्टीवन स्मिथ ने इंग्लैंड के खिलाफ 774 रन बनाकर गावस्कर की बराबरी की लेकिन यह उनकी पदार्पण श्रृंखला नहीं थी. वैसे एक श्रृंखला में सर्वाधिक रन बनाने का रिकार्ड सर डान ब्रैडमैन के नाम पर है जिन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ 1930 में 974 रन बनाए थे. गावस्कर की पोर्ट आफ स्पेन में खेली गयी शानदार पारियों ने भारत को जीत की राह पर ला दिया था. कहते हैं कि तब वाडेकर ने गैरी सोबर्स को गावस्कर से हाथ नहीं मिलाने दिया था क्योंकि उन्हें डर था कि वेस्टइंडीज का यह दिग्गज इससे बड़ी पारी खेलने में सफल रहेगा और वेस्टइंडीज 262 रन का लक्ष्य हासिल कर लेगा. सोबर्स दूसरी पारी में खाता भी नहीं खोल पाए और वेस्टइंडीज आठ विकेट पर 165 रन बनाकर बमुश्किल मैच ड्रा करा पाया था.

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