जूही स्मिता की रिपोर्ट
पटना : कोरोना से जूझ रहे देश में कई लोग अपनी कर्तव्यनिष्ठा से मिसाल कायम कर रहे हैं. इतने दिनों में इसका प्रभाव कम होने की जगह बढ़ता ही जा रहा है. विश्व का हर छोटा-बड़ा देश आज इसके चपेट में है. हर दिन मौत का आकड़ा एक नयी ऊंचाई को छू रहा है. इसी बीच कोरोना वॉरियर्स का जज्बा भी हमे देखने को मिल रहा है. डॉक्टर, नर्स, पुलिस से लेकर सफाईकर्मी तक हमे बचाने में जुटे हुए हैं. ऐसे में पटना के गायघाट की रहनेवाली डॉ दीपाली सिंह का जज्बा देखने लायक है.
डॉ दीपाली ने 2016 में अपनी एमबीबीएस की डिग्री प्राप्त की थी और पिछले साल उन्होंने पीएमसीएच ज्वाइन किया है. अभी वे पीजी की पढ़ाई कर रही हैं. 19 मार्च को कंकड़बाग स्थित नर्सिंग होम में अपने बच्चे जन्म दिया. डिलिवरी के बाद जब वह अपने घर पहुंची तो उन्हें कोरोना वायरस से जुड़ी कई जानकारियां मिली. जहां एक ओर उन्हें मां होने की जिम्मेदारी निभानी थी, वहीं डॉक्टर बनने के बाद ली गयी शपथ का फर्ज निभाना था. ऐसे में उन्होंने अपने मन की बात अपने परिवारवालों को बतायी जिस पर सभी ने हामी भी भर दी.
हॉस्पिटल से उनकी ड्यूटी का शेड्यूल भी मिल गया. डॉ दीपाली बताती हैं कि उन्हें बेहद डर लग रहा था कि बच्चा छोटा है. कहीं उनकी वजह से कोई संक्रमण न हो जाये. पति के सपोर्ट से वह पहले दिन अपनी ड्यूटी गयीं. डर था, लेकिन लोगों की मदद करने की भावना भी प्रबल थी. वे बताती हैं कि अगर आपका इम्यून सिस्टम स्ट्रांग हैं, तो आप कोरोना से बच सकते हैं. धीरे-धीरे उनके मन का डर खत्म हुआ और उन्हें एहसास हुआ कि आम लोग बहुत डरे हुए हैं.
अभी वे पीएमसीएच स्थित आइसोलेशन वार्ड में मरीजों का उचित इलाज और देखभाल पूरी सावधानी से कर रही हैं. घर जाने पर छत पर बने वॉशरूम का इस्तेमाल कर रही है. मां द्वारा बनाये कपूर का मिश्रण और सेनिटाइजर से खुद को सैनिटाइज करती है. कोशिश करती हैं कि बच्चे के पास जरूरत पड़ने पर ही जायें, वरना बच्चे से कुछ घंटों की दूरी जरूर बनाये रखती है. वे हर 4 घंटे बाद अपने घर जाती हैं और नवजात बच्चे को दूध पिला कर वापस लौट आती हैं. वे बताती हैं कि यह देश के लिए क्राइसिस की घड़ी है. ऐसे में अपना कर्तव्य पालन करना उनकी अहम जिम्मेदारी है. इस जिम्मेदारी को पूरी करने में उनके परिवार वालों का भरपूर सहयोग मिल रहा है.