जमालउद्दीन
हजारीबाग : कोरोना के संक्रमण से आम जन जीवन के साथ व्यापार जगत भी प्रभावित हुआ है. इन्हीं में से एक है रियल एस्टेट सेक्टर. यह सेक्टर पिछले कुछ समय से मंदी की मार झेल रहा है. ऐसे में अब कोरोना कमर तोड़ साबित हो सकता है. बिल्डरों का कहना है कि लॉकडाउन के दरम्यान इसमें काम करनेवाले 15 हजार लोग प्रभावित हुए हैं. जबकि 30 से 40 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है.
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विशेषज्ञों का कहना है कि आनेवाले समय में सरकार का रूख इस सेक्टर का भविष्य तय करेगा. आगामी छह माह तक सरकार को इस ओर नरमी बरतनी होगी. तब इस सेक्टर की गाड़ी फिर से पटरी पर दौड़ेगी. अपने आशियाने का सपना देखनेवाले लोगों के सपने साकार होंगे. विशेषज्ञों ने कहा कि सरकार रियल स्टेट सेक्टर के लिए विशेष राहत पैकेज दे. केंद्र सरकार होम लोन को सस्ता करें. बिल्डर को लगने वाली मुख्य सामग्री स्टील, सरिया, सीमेंट, ठेकेदार पर जीएसटी का निर्धारण कम करें.
रियल एस्टेट की कहानी
सुचारू होने में छह माह लग जायेंगे : शाम्भवी डेवलपर के डायरेक्टर प्रणय कुमार ने बताया कि लॉकडाउन के बाद भी इस काम को सुचारू होने से करीब चार से छह माह लग जायेगा. इससे इस क्षेत्र में काम करने वाले हजारों मजदूर एवं कर्मी को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा.
विशेष बैंकिंग सहायता मिलनी चाहिए : हजारीबाग होम प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर विवेकानंद सिंह ने कहा कि सरकार की ओर से विशेष बैंकिंग सहायता मिलनी चाहिए. डेवलपर्स के लिए अधिक प्रत्यक्ष कर प्रोत्साहन, स्टांप ड्यूटी में छूट मिलनी चाहिए. बिल्डर्स के लिए लिक्विडिटी की समस्या को हल करने के लिए बैंक ब्याज दर में कमी करनी चाहिए.
रेरा से एक साल की समय सीमा विस्तार मिले : प्रभु बिल्डकॉन प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर एवं बिल्डर एसोसिएशन के सचिव भैया अभिमन्यु प्रसाद ने कहा कि रेरा से एक साल की समय सीमा विस्तार व अन्य परियोजनाओं को छह महीने का समय विस्तार मिलना चाहिए. रजिस्ट्रेशन में छूट मिलनी चाहिए. आयकर और जीएसटी में अधिक से अधिक राहत देना चाहिए. इससे रियल एस्टेट मार्केट में उछाल आयेगा.
निर्मित मकानों पर रजिस्ट्री शुल्क माफ हो : बीके कंस्ट्रक्शन के डायरेक्टर चंद्रप्रकाश जैन ने कहा कि कोरोना की वजह से रियल स्टेट सेक्टर में आगामी छह माह और संघर्ष रहेगा. सरकार को निर्मित मकानों पर रजिस्ट्री शुल्क माफ करनी चाहिए. केंद्र सरकार की ओर से जीएसटी व होम लोन के ब्याज दरों में कमी कर राहत देनी चाहिए.