सीपी सिंह, बोकारो : गर्मी के मौसम के दस्तक देते ही (मार्च अंत व अप्रैल की शुरुआत) एसी, फ्रीज, कूलर जैसे इलेक्ट्रोनिक्स उत्पाद से लेकर मिट्टी के बरतनों की बिक्री बढ़ जाती है. लेकिन, इस बार ऐसा नहीं है. कोरोना संक्रमण के कारण लॉक डाउन लागू होने से बाजार पर जबरदस्त नकारात्मक असर हुआ है. बोकारो में इस सेगमेंट में 30-40 प्रतिशत से अधिक का नुकसान हुआ है. बाजार को 20 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ है.विशेषज्ञों की माने तो यह वर्ष इस सेगमेंट के लिए क्लॉज वर्ष की तरह ही माना जायेगा.
कारण, लॉक डाउन तीन मई तक रहेगा. लॉक डाउन घोषित होने के पहले ज्यादातर दुकानदारों ने स्टॉक मंगा लिया था. इसमें उनकी पूंजी भी फंस गयी. अब बाजार ही बंद है. इससे दुकानदारों पर दोहरा मार पड़ेगी. सिटी सेंटर सेक्टर चार स्थित एशियन इलेक्ट्रॉनिक्स के संचालक ब्रजेश कुमार सिंह का कहना है कि एसी, कूलर, रेफ्रिजरेटर आदि की बिक्री के लिए सबसे महत्वपूर्ण महीना अप्रैल ही होता है. इस बार यह महीना पूरी तरह से लॉकडाउन में जा रहा है. इस महीने में बंदी का मतलब है कि पूरे साल की कमाई पर भारी चोट.
इस नुकसान की भरपाई पूरे साल नहीं हो सकेगी. असर अगले कई साल तक देखने को मिलेगा. दुकानदारों का बजट गड़बड़ा जायेगा.चास स्थित बॉम्बे वेराइटी के संचालक दीपक सेठ ने बताया कि लॉकडाउन से इस साल हमारा धंधा चौपट ही हो जायेगा. यह ऐसा संकट है, जिसमें कुछ नहीं किया जा सकता. इस संकट की वजह से इस साल एसी, फ्रिज और कूलर की की बिक्री में 30 से 40 फीसदी की गिरावट आयेगी.
तीन मई के बाद भी लॉकडाउन की स्थिति में धीमा परिवर्तन होने की संभावना है. लोग भी खरीदारी से कतरायेंगे. इससे दो साल तक इस नुकसान की भरपाई नहीं की जा सकती है. कुम्हारों के लिए भी आयी संकट की घड़ीलॉकडाउन में कुम्हारों के लिए भी संकट है. देसी फ्रीज यानी घड़ा और सुराही की मांग मार्च, अप्रैल व मई में ही होती है. कुम्हारों को साल भर इसका इंतजार रहता है.
लेकिन, इस बार बोकारो में दर्जनों कुम्हारों की चाक की रफ्तार लॉकडाउन के कारण थम गयी है. एक अनुमान के मुताबिक गर्मी के मौसम में जिला में कुल 20 लाख रुपये के मिट्टी के बरतन आदि की बिक्री होती है. सेक्टर 12 के कुंभकर प्रजापति ने बताया कि फरवरी माह से घड़ा और सुराही बनाने का काम शुरू हो जाता है. इस साल भी उत्पाद तो तैयार हो गया है, लेकिन बाजार बंद हो गया है. ऐसे में पूंजी और मेहनत दोनों पर पानी फिर गया है. इसकी भरपाई तो दूर की बात है. सामने भुखमरी की स्थिति आ गयी है.