बैरिया : कोरोना वायरस एक प्राकृतिक विद्रोह हैं, दुनिया के अंधाधुंध विकास ने प्रकृति के साथ भयंकर अत्याचार किया है. इसी वजह से प्रकृति ने विद्रोह किया है. उक्त बातें बलिया सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त ने गुरूवार को अपने कैंप कार्यालय सोनबरसा में पत्रकारों से एक वार्ता के दौरान कहा. उन्होंने कहा कि पांच सौ साल की प्रमाणिकता मिलती है कि हर सौ साल पर प्रकृतिक विरोध इसलिये करती है कि प्रकृति के साथ घोर अत्याचार बढ़ जाता है. कोरोना वायरस के संक्रमण में भी एक सुखद पहलू यह है कि प्रकृति का केंद्र कभी भी भारत नहीं रहा है. दुनिया में जिस किसी भी देश में प्रकृति के साथ अत्याचार होता है,वहां ऐसी ही विपदा उफान पर होती है.उस उफान रूपी विद्रोह को शांत करने की प्रक्रिया भारत से ही होती है.इसकी प्रमाणिकता भारत में हैजा,प्लेग,चेचक और पोलियों के रूप में फैली महामारी को पूर्णतया काबू करने की क्षमता को देखी जा चुकी है.
सांसद ने कहा कि कोरोना वायरस रूपी बीमारी भी प्राकृतिक विद्रोह ही है. ऐसे 500 सौ साल का तमाम प्राकृतिक विद्रोह का इतिहास है जिसे शांत करने का उपाय भारत के पास ही है. प्रकृति ने भारत को विरासत में इतना दिया है क्योंकि सदियों से प्रकृति का संरक्षण भारत में ही होता है,जो दुनिया के किसी देश में नहीं होता है. भारतीय जीवन दर्शन विश्व के कल्याण का उपाय है और इसके शासक के तौर पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई मोदी ने जो तस्वीर प्रस्तुत की है, वह अनुकरणीय व प्रेरणादायी है. कोरोना वायरस के बाद विश्व मे आने वाली मंदी के प्रति विद्वान चिंतित है उस मंडी से निजात दिलाने के लिये हमारे देश किसान पूर्णतया सक्षम है. आर्थिक,सामाजिक,राजनैतिक क्षेत्र में कृषि अर्थ व्यवस्था हमारे देश में मंदी नहीं होने देगी. किसानों के उपज की मांग बढ़ेगी तो आर्थिक, सामाजिक उन्नति होगी.आने वाले दिनों में प्रकृति के साथ अपनाने की दुनिया की चाहत बढ़ेगी. प्रदेश व केंद्र सरकार हर स्तर पर अपने देशवासियों के साथ खड़ी है.
कामगारों,किसान,जॉब कार्डधारक,वृद्धा, विधवा,विकलांग सहित जनधन खाते में हर वर्ग को खाते में रुपये भेजने के साथ ही राशन उपलब्ध कराना सरकार प्राथमिकता के आधार पर कर रही है. सांसद श्री मस्त ने जनपद वासियों से अनुरोध किया कि इस कोरोना जैसी घातक बीमारी से हम सभी को बचना है तो लॉकडाउन का पालन करना है. इस कार्य में हमारे देश व प्रदेश में पुलिस के जवान,डॉक्टर, पत्रकारों की भूमिका काफी सराहनीय है,ये लोग पूरी तन्मयता से दिनरात राहत सामग्री वितरण कराने, हॉस्पिटल में लोगों का उपचार करने व पत्र के माध्यम से जानकारी साझा करने आदि कार्यो में लगे है.
इन लोगों की जितनी प्रशंसा की जाय कम है.इनसेट प्रधानमंत्री कोष में करें सहयोग मस्त ने प्रदेश व देश के किसानों से प्रेसवार्ता के माध्यम से अनुरोध किया है कि किसान अपने कृषि कार्य से पूर्णतया निवृत होने के उपरांत अपने सामर्थ्य के अनुरूप देश हित मे प्रधानमंत्री राहत कोष में लाभ के कुछ अंश आर्थिक सहयोग के रुप में जरूर करें, जिससे इस बीमारी से पूरी दमदारी से लड़ा जा सके. लाकडाउन के बाद किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के नाते पुरे भारत का भ्रमण करके किसानों से अपने लाभ का कुछ अंश प्रधानमंत्री राहत कोष में दान करने के लिए कहूंगा.