इस्लामाबाद : पाकिस्तान में गुरुवार को कोरोना वायरस संक्रमण मामलों की संख्या 6,400 को पार कर गई. इस बीच, प्रधानमंत्री इमरान खान ने ‘‘गैरजिम्मेदाराना रवैये” अपनाने और बीमारी को रोकने के लिए सरकार के प्रयासों के बारे में न्यायालय को जानकारी देने में विफल रहने के लिए अपने स्वास्थ्य सलाहकार को फटकार लगाई है.
शीर्ष अदालत ने मंगलवार को महामारी से निपटने के सरकार के प्रयासों को लेकर नाराजगी व्यक्त की थी और देश में कोविड-19 के प्रकोप से निपटने में विफल रहने के लिए प्रधानमंत्री के विशेष स्वास्थ्य सहायक डॉ जफर मिर्ज़ा को हटाने का निर्देश दिया था.
बुधवार को मंत्रिमंडल की बैठक में प्रधानमंत्री खान ने अदालत के समक्ष हालिया पेशी के दौरान ‘‘गैर जिम्मेदाराना रवैये” के लिए मिर्जा को फटकार लगाई. मंत्रिमंडल की कार्यवाही से जुड़े सूत्रों ने बताया कि खान ने कहा कि उनके सलाहकार देश में बीमारी को हराने के लिए चल रहे कई प्रयासों के बारे में शीर्ष अदालत को जानकारी देने में विफल रहे.
मिर्जा को हटाना इमरान खान सरकार के लिए एक बड़ा झटका होगा क्योंकि वह पाकिस्तान में कोविड-19 के खिलाफ अभियान का नेतृत्व कर रहे हैं और इसके प्रकोप को नियंत्रित करने के लिए उठाए जा रहे कदमों के बारे में रोज मीडिया को बताते हैं.
मिर्जा को राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त है और उन्हें पिछले साल स्वास्थ्य मामलों पर प्रधानमंत्री का विशेष सहायक नियुक्त किया गया था. देश में दवाओं की बढ़ती कीमतों को काबू करने में विफल रहने को लेकर स्वास्थ्य मंत्री अमीर कयानी को पद से हटाए जाने के बाद मिर्जा को प्रधानमंत्री के विशेष सहायक के रूप में नियुक्त किया गया था.
विभिन्न अधिकारियों और मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, पाकिस्तान में कोरोना वायरस के 6,424 मामले दर्ज किए हैं. अब तक पंजाब में 3,143 मामले सामने आये हैं, जबकि सिंध में 1,668, खैबर-पख्तूनख्वा में 912, बलूचिस्तान में 281, गिलगित-बाल्टिस्तान में 234, इस्लामाबाद में 140 और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में 46 मामले दर्ज किए गए हैं.
अब तक 1,446 लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 111 लोगों की मौत हो गई. शीर्ष अदालत ने इसके साथ ही देश भर में समस्याओं के समाधान में विफल रहने के लिए पूरे मंत्रिमंडल की भी आलोचना की, जिसके बाद सोशल मीडिया पर बहस शुरू हो गई. कुछ उपयोगकर्ताओं ने तो अदालत को ही निशाने पर ले लिया.
प्रधानमंत्री खान ने संघीय जांच एजेंसी (एफआईए) को देश के शीर्ष न्यायाधीश और न्यायपालिका के अन्य सदस्यों के खिलाफ सोशल मीडिया पर अभियान चलाने के जिम्मेदार लोगों के खिलाफ जांच करने का आदेश दिया