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राहत की उम्मीद

गृह मंत्रालय ने 20 अप्रैल से कुछ आवश्यक आर्थिक गतिविधियों को चलाने की अनुमति दे दी है. पिछले महीने की 25 तारीख से चल रहे लॉकडाउन से किसानों और अनाज कारोबारियों में फसलों को लेकर बड़ी चिंता थी.

गृह मंत्रालय ने 20 अप्रैल से कुछ आवश्यक आर्थिक गतिविधियों को चलाने की अनुमति दे दी है. पिछले महीने की 25 तारीख से चल रहे लॉकडाउन से किसानों और अनाज कारोबारियों में फसलों को लेकर बड़ी चिंता थी. फसल पर ही किसानों की तमाम उम्मीदें टिकी होती हैं. इस निर्देश से देश के खेती से जुड़े करोड़ों लोगों को बड़ी राहत मिली है. खेतों से फसल काटने के साथ अनाज की खरीद की खरीद के लिए मंडियों को खोलने की भी अनुमति दी गयी है. किसानों की जरूरत का सामान बेचनेवाली दुकानें भी खुल सकेंगी. साथ ही, ग्रामीण आर्थिकी से जुड़े कारोबारों की अनुमति भी मिली है. कोरोना वायरस के व्यापक संक्रमण से जूझ रही दुनिया के पास बचाव के लिए लॉकडाउन और परस्पर दूरी बरतने के अलावा कोई और विकल्प नहीं है.

इस वजह से कुछ जरूरी चीजों और सेवाओं को छोड़कर तमाम आर्थिक गतिविधियां या तो बंद हैं या बहुत आंशिक रूप से चल रही हैं. इसका नतीजा अर्थव्यवस्था की बदहाली और बढ़ती बेरोजगारी के रूप में हमारे सामने है. हालांकि कोरोना वायरस का संक्रमण कई राज्यों में है, पर यह संतोषजनक है कि अभी भी देश के बड़े हिस्से में इसने दस्तक नहीं दी है या फिर अनेक इलाकों में सरकारों और डॉक्टरों के अथक प्रयासों से महामारी पर काबू पाने में कामयाबी मिल रही है. ग्रामीण भारत वायरस से लगभग अछूता है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉकडाउन को तीन मई तक बढ़ाने की घोषणा करते हुए कहा था कि जिन इलाकों में लोग अनुशासन का पालन कर संक्रमण को रोक लेंगे या उससे छुटकारा पा लेंगे, उन जगहों पर कुछ दिन बाद सामान्य गतिविधियों के लिए समुचित छूट दी जा सकती है. ऐसा करना आर्थिक स्तर पर जरूरी है, लेकिन इसके साथ संक्रमण को रोकने पर हमारा पूरा ध्यान बना रहना चाहिए. ग्रामीण अर्थव्यवस्था देश की आर्थिकी का ठोस आधार है.

जीने के लिए सबसे जरूरी चीजों का उत्पादन वहीं होता है और उनकी आपूर्ति भी वहीं से आती है. खेती के काम के साथ मनरेगा परियोजनाओं, सिंचाई से जुड़ी योजनाओं आदि के शुरू होने से आमदनी और मांग के मोर्चे पर पैदा हुई निराशा को दूर किया जा सकेगा. सरकार के ताजा निर्देशों में सामानों की ढुलाई के लिए गाड़ियों की आवाजाही को भी मंजूरी दी गयी है और सड़कों के किनारे परिवहन और खाने-पीने से जुड़े कारोबार भी शुरू हो सकेंगे.

अभी लगभग 90 फीसदी ट्रक खड़े हैं. इनके चलने से विभिन्न वस्तुओं की राष्ट्रव्यापी उपलब्धता सुनिश्चित हो सकेगी. खेतों और सड़कों से उदासी दूर होने से देश का आत्मविश्वास और भी मजबूत होगा तथा कोरोना वायरस और उसकी वजह से पैदा हुईं विभिन्न समस्याओं से जूझने की ताकत भी बढ़ेगी. इस पहलकदमी से अर्थव्यवस्था पर पड़नेवाले नकारात्मक असर को भी कम करने में मदद मिलेगी.

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