19.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

A soldier never on holiday : छुट्टी में गांव आया जवान अपने पैसों से खिला रहा है गरीबों को खाना

सीआरपीएफ के एएसआई पद्मेश्वर दास इन दिनों असम में अपने घर में हैं. लेकिन वह अपने पैसों से खाने के पैकेट तैयार कर गांव के गरीबों को उपलब्ध करा रहे हैं जो कोरोना वायरस लॉकडाउन के कारण सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं. दास (48) की यूनिट दक्षिण कश्मीर के आतंकवाद प्रभावित शोपियां जिले में तैनात है. वह अपने छोटे से गांव चतनगुरी में लॉकडाउन से प्रभावित लोगों की मदद कर रहे हैं.

सीआरपीएफ के एएसआई पद्मेश्वर दास इन दिनों असम में अपने घर में हैं. लेकिन वह अपने पैसों से खाने के पैकेट तैयार कर गांव के गरीबों को उपलब्ध करा रहे हैं जो कोरोना वायरस लॉकडाउन के कारण सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं. दास (48) की यूनिट दक्षिण कश्मीर के आतंकवाद प्रभावित शोपियां जिले में तैनात है. वह अपने छोटे से गांव चतनगुरी में लॉकडाउन से प्रभावित लोगों की मदद कर रहे हैं.

Also Read: डॉक्टरों ने गृह मंत्री से मांगी सीआरपीएफ की सुरक्षा

उनका गांव जिला मुख्यालय मोरीगांव जिले से करीब 76 किलोमीटर दूर है. लोगों की परेशानियों से व्यथित दास ने संभावित मदद के संबंध में अपनी मां और पत्नी के साथ चर्चा की तथा दोनों उत्साहपूर्वक इस प्रयास में शामिल हो गए.

दास ने अपने गांव से फोन पर से कहा, ‘‘मैं तीन मार्च को छुट्टियों पर गांव आया था और जब मैं वापस लौटने वाला था, तब तक लॉकडाउन घोषित हो चुका था. कश्मीर घाटी में तैनात मेरी यूनिट ने भी एक संदेश भेजा, जिसमें मुझे घर में ही रहने और वापस नहीं आने के लिए कहा गया था.”

दास ने कहा, ‘‘अगर मैं अपने बल के साथ होता, तो मैं अपने सहयोगियों और अधिकारियों के साथ जरूरतमंदों की मदद कर रहा होता. फिर मैंने सोचा कि मैं अकेले ही कुछ कर सकता हूं.” उन्होंने कहा, ‘‘मेरे बल का ध्येय वाक्य ‘सेवा और निष्ठा’ है, चाहे जवान अकेला हो या समूह में हो .

” 1991 में सीआरपीएफ में एक कांस्टेबल के रूप में शामिल हुए सहायक उप-निरीक्षक (एएसआई) ने कहा कि वह अपनी स्कूटी से नजदीकी बाजार गए और करीब 80 किलोग्राम चावल और राशन का अन्य सामान लेकर आए. अगले दिन, उन्होंने और उनके परिवार ने 50 से अधिक पैकेट तैयार किए, जिनमें से प्रत्येक में चावल, आलू, सरसों का तेल, नमक आदि था.

दास ने झिझकते हुए कहा, “मैंने इन वस्तुओं को खरीदने और पैक करने के लिए लगभग 8,000-10,000 रुपये खर्च किए. वह इस काम पर आए खर्च के बारे में बताने के लिए उत्सुक नहीं थे. दास के अधिकारी और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की 76 वीं बटालियन के कमांडेंट नीरज पांडे ने अपने समर्पित सहयोगी की प्रशंसा करते हुए कहा, ‘ मुझे इस बात पर गर्व है कि आधिकारिक अवकाश पर होने के बावजूद दास ने लोगों की मदद की.’

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें