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Mohit Raina ने वेब सीरीज ‘Bhaukaal’ को लेकर किया ये खुलासा

Mohit Raina : छोटे परदे का लोकप्रिय चेहरा मोहित रैना (Mohit Raina) इनदिनों डिजिटल प्‍लेटफॉर्म में भी काफी सराहे जा रहे हैं. वेब सीरीज काफ़िर के बाद वे इनदिनों एमएक्स प्लेयर पर अपनी वेब सीरीज 'भौकाल' (Bhaukaal) को लेकर चर्चा में बने हैं.

छोटे परदे का लोकप्रिय चेहरा मोहित रैना (Mohit Raina) इनदिनों डिजिटल प्‍लेटफॉर्म में भी काफी सराहे जा रहे हैं. वेब सीरीज काफ़िर के बाद वे इनदिनों एमएक्स प्लेयर पर अपनी वेब सीरीज ‘भौकाल’ (Bhaukaal) को लेकर चर्चा में बने हैं. यह कहानी आईपीएस ऑफिसर नवनीत सिकेरा की असल ज़िंदगी पर आधारित है जिन्‍होंने उत्तर प्रदेश में पुलिस बल की परिभाषा ही बदल दी. मोहित रैना की उर्मिला कोरी से हुई खास बातचीत :

वेब शो भौकाल का अब तक का रिस्पॉन्स कैसा मिल रहा है ?

बहुत अच्छा. लोगों को इतना पसंद आएगा सोचा नहीं था. इंटीरियर्स और छोटे शहरों में लोग इसे ज़्यादा देख रहे हैं. जिस तरह के मेल और मैसेज मुझे आ रहे हैं उससे समझ आ रहा है. ये वेब शो अपने टारगेट ऑडियंस को बहुत पसंद आ रहा है. टारगेट ऑडियंस से मेरा मतलब युवा हैं. यह वेब शो बच्चों के लिए नहीं है. बुजुर्गों को उतना पसंद नहीं आएगा. उत्तर प्रदेश के लोग इससे और ज़्यादा कनेक्ट कर रहे हैं क्योंकि नवनीत सिकेरा से परिचित हैं. उनका नाम वहां बहुत मशहूर है. लोग खुश हैं कि हमारे जो रोल मॉडल हैं. उनकी कहानी हमको देखने को मिल रही है.

क्या आप निजी तौर पर नवनीत सिकेरा से मिले थे ?

मुझे सौभाग्य मिला था उनसे मिलने और समय बिताने का. भौकाल की शूटिंग लखनऊ में हुई थी और वे उस वक़्त वहीं पर पोस्टेड थे. वैसे तो वो बहुत बिजी थे लेकिन जब भी थोड़ा भी वो फ्री होते थे मैं मिलने चला जाता था. तीन बार उनसे मिला.

उनकी भूमिका के लिए आपकी क्या तैयारी थी ?

नवनीत सिकेरा लाखों लोगों के रोल मॉडल हैं. जहां पर भी उन्होंने अपराध को जड़ से खत्म किया है वहां लोग उन्हें बहुत चाहते हैं. सम्मान करते हैं. ऐसे में आपके उपर जिम्मेदारी बढ़ जाती है कि आप उनकी ज़िंदगी को दर्शाने के लिए हर चीज़ सही करें. मेरे ऊपर भी एक्स्ट्रा जिम्मेदारी आ गयी थी. जिसे अच्छे से निभाने की मैंने पूरी कोशिश की. उनके बात करने से लेकर उनके चलने के तरीके तक मैंने हर चीज को बारीकी से निभाने की कोशिश की है. वह परिवार के साथ कैसे हैं और सोशल लाइफ में कैसे हैं, उन सब चीजों को ध्यान में रखने की कोशिश की.

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पिछले कुछ समय से पुलिसिया किरदार सिनेमा में काफी लोकप्रिय हो रहे हैं वेब में भी शुरुआत हो रही है, आपको क्या लगता है ?

मुझे लगता है कि यूनिफॉर्म से हर कोई प्रभावित होता है. हर कोई उससे एक जुड़ाव महसूस करता है. जब आप किसी इंसान को बुरे लोगों के साथ डील करते देखते हैं उन्हें मारते देखते हैं तो आप में पॉजिटिविटी का अप्रोच जागता है. आप मोटिवेट होते हैं. ऐसे रियल किरदार की कहानियां आनी चाहिए इससे लोगों में एक जागरूकता आती है. इसके साथ ही वह खुद भी उसके जैसा बनना चाहते हैं.

आपको यूनिफॉर्म से लगाव रहा है ?

बहुत ज़्यादा, मैं तो एनडीए में जाने वाला था. मेरी आंखों में परेशानी थी जिस वजह से मैं एनडीए का हिस्सा नहीं बन पाया. मैंने पेपर भी दिय़ा था मुझे लगा था कि मैं भईया लंबा हूं तो आराम से हो ही जाऊंगा लेकिन शॉर्ट साइटेड होने की वजह से मैं नहीं चुना गया.

आपको लगता है ऐसे शोज और फिल्में पुलिस की छवि को सशक्त बनाने के साथ साथ आम लोगों में भरोसा भी जगाते हैं?

कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए पुलिस वाले 24 घंटे काम करते रहते हैं. जिस तरह से वे ज़िन्दगी जीते हैं. वो आसान नहीं होती हैं. बहुत सारी कुर्बानी उन्हें कदम कदम पर देनी पड़ती है. कई बार उन्हें महीनों तक छुट्टी नहीं मिलती है. कभी कभार आपके अनुभव अच्छे नहीं होते हैं लेकिन उस वजह से आप पूरी पुलिस को जज नहीं कर सकते हैं. हमें पॉजिटिव साइड देखना चाहिए और उसकी तारीफ करनी होगी.

डिजिटल माध्यम को एक एक्टर के तौर पर कैसा पाते हैं ?

सबको बहुत फायदा हो रहा है क्योंकि अलग अलग विषयों पर कहानियां बन रही हैं. पहले दो ही माध्यम थे टीवी और फ़िल्म। कई बार ऐसी कहानियां होती थी जो ना तीन घंटे में कही जा सकती थी और ना ही उनको कहने के लिए आपको महीनों चाहिए. डिजिटल प्लेटफार्म ने उन कहानियों को मौका दिया है कि आप उन्हें आठ दस एपिसोड में बता सकते हैं. यह क्रिएटिव लोगों के लिए बहुत ही अच्छा मौका है. मैं खुद को लकी मानता हूं कि इस बदलाव का मैं भी हिस्सा हूं.

डिजिटल माध्यम में सेक्स और हिंसा हावी है ऐसा भी कइयों का कहना है ?

हर किसी को अपनी कहानी अपने ढंग से बताने का यह प्लेटफॉर्म मौका दे रहा है. मैं इस बात से सहमत नहीं हूं कि यहां सेक्स और हिंसा हावी है. माता पिता की जिम्मेदारी है कि वो ऐसे शोज अपने बच्चों को ना देखने दे।जो उनकी उम्र के मुताबिक नहीं है. ये निर्माता निर्देशक की जिम्मेदारी नहीं है.

आप परदे पर बोल्ड दृश्य करने में कितने सहज हैं ?

एक्टर को सबसे पहले केयरलेस होना पड़ता है. अलग अलग किरदार करने के लिए आपको सबसे पहले अपने को किसी तय सीमा में नहीं बांधना होता है. आपको फियरलेस बनना पड़ता है. स्क्रिप्ट से बढ़कर कुछ नहीं होता है इसलिए स्क्रिप्ट की मांग पर मैं कुछ भी करने को तैयार हूं.

इनदिनों कोरोना का कहर सभी है आप पाठकों से क्या कहेंगे ?

अलग अलग तरह के इलाजों को फॉलो मत कीजिए. डॉक्टर की ही सलाह को मानें. सरकार के निर्देशों का पालन करें. सफाई रखिए. डरिए मत और ना ही अफवाह फैलाइए. उम्मीद है कि यह फेज खत्म हो जाएगा.

अभी शूटिंग बन्द हैं तो आप क्या कर रहे हैं ?

आपको घर में रहना है. लोगों से मिलना जुलना नहीं है तो डिजिटल प्लेटफार्म पर फिल्में और शोज देख रहा हूं जो लंबे समय से देखना चाहता था और परिवार के साथ समय बिता रहा हूं.

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