नयी दिल्ली : भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी), बेंगलुरु, में शोधकर्ताओं की एक टीम श्वसन, खांसी और श्वसन तंत्र से उत्पन्न होने वाली ध्वनि तरंगों के आधार पर कोरोना वायरस के निदान के लिए एक उपकरण पर काम कर रही है.
इस उपकरण को मंजूरी मिलने के बाद इससे इस तरह से जांच की जा सकेगी जिसमें स्वास्थ्यकर्मियों को कम खतरा होगा और मौजूदा जांच विधि की तुलना में जल्द परिणाम सामने आ सकते हैं. आठ सदस्यीय टीम का उद्देश्य ध्वनि-विज्ञान में बीमारी के ‘बायोमार्कर’ का पता लगाने और उसकी मात्रा निर्धारित करना है. टीम के अनुसार, महामारी के मामलों की संख्या बढ़ रही है और संक्रमण की सरल, किफायती और तीव्र तरीके से जांच किया जाना कई देशों में स्वास्थ्य क्षेत्र, नीति निर्माण और आर्थिक पुनरुद्धार की दिशा में एक महत्वपूर्ण घटक बना गया है.
टीम के एक सदस्य ने बताया, बीमारी के प्रमुख लक्षणों में श्वसन संबंधी समस्याएं शामिल हैं और इस प्रस्तावित परियोजना का उद्देश्य इन श्वसन तरंगों में बीमारी के बायोमार्कर का पता लगाना और उनकी मात्रा का निर्धारण करना है. उन्होंने कहा, इस परियोजना में प्रतिभागियों के सांस लेने की आवाज, खांसी की आवाज, श्वसन तंत्र से उत्पन्न होने वाली ध्वनि तरंगों को रिकॉर्ड करने की आवश्यकता होती है.
Also Read: 170 जिले हॉटस्पॉट होंगे, 207 नॉन हॉटस्पॉट- जानें स्वास्थ्य मंत्रालय की क्या है कोरोना से लड़ने की रणनीतिसंपूर्ण प्रक्रिया के लिए लगभग पांच मिनट की रिकॉर्डिंग समय की आवश्यकता होती है. इस परियोजना की निगरानी आईआईएससी संकाय सदस्य श्रीराम गणपति द्वारा की जा रही है और यह परियोजना आंकड़ा संग्रह चरण में है और संभावित नैदानिक उपकरण के रूप में पूर्ण मंजूरी प्राप्त करने से पहले इसे एक प्रयोगात्मक प्रक्रिया से गुजरना होगा.
Also Read: Lockdown 2.0 In India Guidelines : 20 अप्रैल के बाद इन क्षेत्रों को मिलेगी सशर्त छूट, देखें पूरी लिस्टकेन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार देश में कोरोना वायरस से मरने वालों की संख्या बढ़कर 377 हो गई है, जबकि बुधवार को इससे संक्रमित लोगों की संख्या 11,439 थी. इस समय कोरोना वायरस के 9,756 मरीजों का इलाज चल रहा है और 1305 लोगों को स्वस्थ होने के बाद अस्पतालों से छुट्टी दी जा चुकी है.
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