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बाबा साहेब ने सामाजिक विषमता के खिलाफ किया था आगाज: शत्रुघ्न

बेगूसराय : संविधान निर्माता बाबा साहेब आंबेडकर के प्रति श्रद्धांजलि देते हुए पूर्व सांसद शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने कहा कि यह संविधान अच्छा है या बुरा इस की अच्छाई या बुराई उसके व्यवहार करने वालों पर निर्भर करती है. आंबेडकर सामाजिक विषमता, छुआछूत और नफरत के खिलाफ इंकलाब का आगाज किया था. पूर्व सांसद ने […]

बेगूसराय : संविधान निर्माता बाबा साहेब आंबेडकर के प्रति श्रद्धांजलि देते हुए पूर्व सांसद शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने कहा कि यह संविधान अच्छा है या बुरा इस की अच्छाई या बुराई उसके व्यवहार करने वालों पर निर्भर करती है. आंबेडकर सामाजिक विषमता, छुआछूत और नफरत के खिलाफ इंकलाब का आगाज किया था. पूर्व सांसद ने कहा कि 25 जनवरी 1938 को किसान, मजदूरों के संघर्ष का नेतृत्व करते हुए उन्होंने कहा था कि अगर स्वतंत्रता एक पवित्र अधिकार है तो मजदूरों को हड़ताल करने का अधिकार उतना ही पवित्र है. 7 नवंबर 1938 को मुंबई में मजदूरों की हड़ताल को सफल बनाने के लिए लाखों मजदूरों की जो सभा हुई थी उसमें कॉमरेड डांगे भी उपस्थित थे. जिसमें उन्होंने घोषणा की थी कि जब तक मजदूरों के हाथ में हुकूमत नहीं आती तब तक उनके सवाल नहीं सुलझाये जा सकते.

किसानों के आंदोलन में स्वामी सहजानंद सरस्वती और आंबेडकर ने किसानों के शोषण के खिलाफ आम अवाम का आह्वान किया है . खेती का औद्योगिकीकरण, अनिवार्य शिक्षा, चिकित्सा, नशा मुक्ति, तालाब, नदी, कुएं, पाठशाला आदि सार्वजनिक स्थलों में अस्पृश्यों का प्रवेश कराने के लिए अनवरत संघर्ष किया. उन्होंने उसी समय यह चेतावनी दी थी कि राजनीति में भक्ति से हमारा अधः पतन होगा और इसका अपरिहार्य परिणाम होगा अधिनायकवाद. आज के मौजूद समय में आंबेडकर की चेतावनी राजनीतिक क्षेत्र में खतरनाक रूप से मौजूद है. संविधान निर्माता आंबेडकर ने संविधान के अनुच्छेद 15 में यह अंकित किया कि धर्म, मूल वंश, जाति, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर कोई विभेद नहीं होगा.

इन्होंने कहा कि आज प्रधानमंत्री संविधान निर्माता आंबेडकर के प्रति अंग्रेजी में वी द पीपुल जिसका हिंदी अनुवाद हम भारत के लोग हैं कोरोना के विरुद्ध जंग एकताबद्ध होकर जंग लड़ने का उल्लेख किया. लेकिन प्रधानमंत्री को आंबेडकर द्वारा भारतीय संविधान की प्रस्तावना सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास ,धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता और व्यक्ति की गरिमा के संकल्प को भी पूरा करने का वादा भारत की महान जनता के सामने करना चाहिए. यही आंबेडकर के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी.

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