रांची : झारखंड प्रदेश ईट निर्माता संघ ने राज्य भर के ईंट भट्ठों में करीब छह लाख प्रवासी मजदूरों के फंसे होने का दावा किया है. लॉकडाउन की वजह से मजदूर अपने-अपने घर नहीं जा पा रहे हैं. ज्यादतर मजदूर छत्तीसगढ़, बिहार, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, ओडिशा और आसपास के राज्यों के हैं. ईट निर्माता संघ ने बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान की तर्ज पर लॉकडाउन के दौरान भट्ठों के संचालन की अनुमति मांगी है.
उनका कहना है कि राज्य में करीब 2400 ईंट भट्ठा है. लंबे समय तक मजदूरों के यहां रुकने से उनके समक्ष भोजन का संकट होगा. ऐसे में ये जैसे-तैसे पलायन की कोशिश करेंगे. इससे बीमारी फैलने का खतरा बना रहेगा. रांची जिले में केवल 205 भट्ठा हैं. एक-एक भट्ठा में 250 से 300 मजदूर काम करते हैं. ईंटों का उत्पादन मात्र दो माह बरसात से पूर्व ही होता है. मार्च में बारिश के कारण उत्पादन भी कम हुआ है. एक मजदूर एक दिन में ईटों की पथाई कर छह से सात सौ रुपये कमा लेता है.
भट्ठा संचालन का आग्रह किया ईंट निर्माता संघ नेझारखंड प्रदेश ईंट निर्माता संघ के अध्यक्ष अनंतनाथ सिंह, रांची जिला अध्यक्ष अभय नारायण तिवारी, कोषाध्यक्ष अजीत राय चौधरी, सचिव रामदास साहू ने मुख्य सचिव को इस मामले में ज्ञापन भी सौंपा है. उनसे आग्रह किया है कि भट्ठों को चालू किया जाये. इससे लॉकडाउन खत्म होने के बाद ईंटों की कमी दूर की जा सकेगी. ऐसा नहीं होने से विकास का काम प्रभावित हो सकता है. संचालकों द्वारा भट्ठों पर स्वास्थ्य सुरक्षा, सामाजिक दूरी, भोजन सामग्री की व्यवस्था व लॉकडाउन के नियमों का पालन किया जा रहा है. संघ के सदस्यों का कहना है कि अगर भट्ठा चलाने का अनुमति नहीं मिली तो ईंट भट्ठा संचालकों को बड़ा नुकसान होगा.