सीवान : वैश्विक महामारी कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए देश में लागू किये लॉकडाउन ने करीब दस साल पहले 14 साल की उम्र में बिछड़े पुत्र को मां से मिला दिया. शहर के फतेपुर निवासी भरत शर्मा के घर में बिछड़े पुत्र के आ जाने से जहां उसकी मां का खुशी का ठिकाना नहीं है. वहीं परिवार में खुशी का माहौल है. दो अप्रैल बृहस्पतिवार को भरत शर्मा के पुत्र के मोबाइल फोन पर रिश्ते में मामा राजकिशोर का फोन आया कि व्हाट्सएप चेक करो. जब भरत शर्मा के पुत्र अशोक शर्मा ने जब अपना व्हाट्सएप चेक किया, तो साधु के वेश में एक परिचित चेहरा दिखा. एक जाना पहचाना चेहरा नजर आया. मगर एक अलग भेष भूषा संन्यासी के रूप में छोटे भाई प्रदीप उर्फ छोटू को देख बहुत प्रसन्न हुआ.
10 साल पहले घर छोड़कर गये अपने पुत्र को देख मां काफी प्रसन्न हुई. वह अपने मामा के घर गोपालगंज जिले के बढ़ेया गांव आया था. अगले दिन प्रदीप की मां अपने पुत्र से मिलने गोपालगंज गयी. अपने पुत्र से मिलकर मां काफी रोयी. उसके बाद घर चलने की बात कही. पुत्र ने बताया कि व संन्यासी हो गया है तथा उसका नाम भैरवनाथ है. उसने बताया कि हरियाणा हिसार के बाबा लकड़ नंद पुरी महाराज का शिष्य हो गया है. मां से दीक्षा लेने के बाद वह पुन: वापस चला जायेगा. मां अपने मौके में पुत्र को छोड़कर सीवान चली आयी. दूसरे दिन सूचना मिली की प्रदीप शर्मा गांव छोड़कर चला गया है.
लेकिन प्रदीप शर्मा बढ़ेया से पैदल मुफस्सिल थाने के खालीसपुर अपने पैतृक गांव पहुंच गया. उसके बाद घर के लोग वहां से सीवान लाये. उसने बताया कि गुरु जी ने कहा है कि मां से मिल आओ ओर दीक्षा भी लेते आना, तभी हमारे साथ रह सकते हो. उसने बताया कि छपरा तक ट्रेन से आया. फिर दो दिन पैदल चल कर सीवान पहंचा. घर के सामने पहुंचने पर मुहल्ले के दो आदमियों को देखने पर घर जाने की इच्छा नहीं हुई. इसलिए फिर वह पैदल ही बढ़ेया चला गया. यहां नानी से भिक्षा मांग कर खाया. लेकिन राजकिशोर मामा पहचान गये. प्रदीप शर्मा अभी परिवार के लोगों के साथ खुशी पूर्व है.