बंदमनोज सिंह, रांची : लॉकडाउन का असर मछली उत्पादकों पर भी है. तालाब का पानी सूखने लगा है. मछलियां बेचने के लायक तैयार हो गयी है. इसी बीच लॉक डाउन लग जाने के कारण बाजार नहीं मिल रहा है. मछली की चोरी होने लगी है. जहां मछली निकालने का प्रयास हो रहा है, वहां गांव वालों की भीड़ लग जा रही है. भीड़ नियंत्रण से बाहर होने के कारण पुलिस वाले और गांव के लोग ही इसका विरोध करने लगे हैं. मछली उत्पादक अलग तरह की परेशानी के शिकार हैं.
अगले 10-15 दिनों तक इनकी समस्या का उचित निराकरण नहीं हुआ तो तालाब सूख जायेगी. मछलियां या तो मर जायेगी, या चोरी चली जायेगी. क्योंकि अब मछलियां तालाब के ऊपर में ही दिखने लगी है.चान्हो के नौरंगा बाध में करीब 60 एकड़ का मछली फॉर्म संचालन करने वाली शशिबाला मिश्रा बताती है कि 53 महिला ग्रुप बनाकर मछली पालन शुरू किया है. पहली बार चार लाख रुपये पूंजी लगाये हैं. करीब 50 क्विंटल मछली उत्पादन की उम्मीद थी. तालाब में मछली है, लेकिन कोई निकालने वाला नहीं मिल रहा है. इस कारण आसपास के लोग मछली चोरी भी कर रहे हैं.
इसको बचाने में परेशानी हो रही है.गेतलसूद डैम से मछली निकलाने वाले भोला महतो कहते हैं कि जब डैम में मछली निकालने की कोशिश होती है, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन मुश्किल होता है. रांची, रामगढ़ के लोग आकर जमा हो जाते हैं. इससे भीड़ हो जा रही है. ऐसे में गेतलसूद डैम से मछली निकालने वाले समूह ने तय किया है कि 30 अप्रैल तक गेतलसूद डैम से मछली नहीं निकालेंगे. सामान्य दिनों में करीब एक क्विंटल मछली हर दिन निकलता है.मुखिया ने निकालने से मना कर दियाहटिया डैम के दिलीप नायक बताते हैं कि डैम सूखने लगा है. पानी बहुत कम हो गया है. मछलियां संकट में हैं. निकलाने का प्रयास किये तो इतना भीड़ हो गया कि गांव के मुखिया ने मना कर दिया.
पुलिस वाले ने भी मना कर दिया. इस कारण मछली नहीं निकल रहा है. चोरी होने का खतरा ज्यादा है. सामान्य दिनों में वहां से करीब 1.5 क्विंटल मछली निकलता.कोटभारत सरकार और राज्य सरकार ने भी मछली बेचने का आदेश जारी कर दिया है. जिला स्तर पर सभी उपायुक्तों को कहा गया है. इसके बावजूद अगर परेशानी हो रही है, तो विभाग सहयोग करने के लिए तैयार है. शालीमार बाजार में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराते हुए मछली की बक्रिी शुरू की गयी है. इससे लोगों को ताजा मछली मिलना शुरू हो गया है. लोगों को भी लॉक डाउन संबंधी आदेशों का पालन करना चाहिए. आशीष कुमार, उप निदेशक, मत्स्य