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Chanakya Niti : जानें मां,पिता और संतान के किन गुणों को घर की खुशहाली का कारण बताते हैं चाणक्य

Chanakya Niti , Chanakya Niti Shlok , Chanakya Niti on Family :आज के दौर में हर व्यक्ति भागदौड़ के जीवन मे इतना व्यस्त हो चुका है कि उस दौड़ में उसका घर ही पीछे छूटता जाता है.वह भौतिक सुखों के पीछे अपना बेहतरीन देने की जद्दोजहद में रहता है लेकिन शायद ही यह सोच पाता है कि तमाम भागदौड़ अपने घर और परिवार के लिए ही लोग करते हैं इसलिए जरुरी है कि घर को भी मजबूत किया जाए.एक घर को समृद्ध व खुशहाल बनाने मे हर एक व्यक्ति को अपना योगदान देना होता है.घर के हर सदस्य की अपनी अलग-अलग भूमिका होती है और कोई भी कड़ी कमजोर हुई तो उसका असर पूरे घर पर पड़ता है.आचार्य चाणक्य जो बड़े राजनीतिज्ञ के रुप मे जाने जाते हैं और जिनकी चाणक्य नीति आज के दौर में भी काफी समस्याओं का हल बताती है उसमें घर - परिवार को लेकर भी सुझाव दिए गए है.

Chanakya Niti , Chanakya Niti Shlok , Chanakya Niti on Family :

आज के दौर में हर व्यक्ति भागदौड़ के जीवन मे इतना व्यस्त हो चुका है कि उस दौड़ में उसका घर ही पीछे छूटता जाता है.वह भौतिक सुखों के पीछे अपना बेहतरीन देने की जद्दोजहद में रहता है लेकिन शायद ही यह सोच पाता है कि तमाम भागदौड़ अपने घर और परिवार के लिए ही लोग करते हैं इसलिए जरुरी है कि घर को भी मजबूत किया जाए.एक घर को समृद्ध व खुशहाल बनाने मे हर एक व्यक्ति को अपना योगदान देना होता है.घर के हर सदस्य की अपनी अलग-अलग भूमिका होती है और कोई भी कड़ी कमजोर हुई तो उसका असर पूरे घर पर पड़ता है.आचार्य चाणक्य जो बड़े राजनीतिज्ञ के रुप मे जाने जाते हैं और जिनकी चाणक्य नीति आज के दौर में भी काफी समस्याओं का हल बताती है उसमें घर – परिवार को लेकर भी सुझाव दिए गए है.

एक घर मे माता-पिता और भाई -बंधु किस भूमिका के रहते हैं और उनका क्या आचरण उस घर को मजबूत बनाता है इसे चाणक्य ने एक श्लोक के जरिए बताया है.आज के दौर में इसे जिस परिवार ने समझ लिया और उस अनुरुप अपने घरेलु अनुशासन का पालन हर एक व्यक्ति ने कर लिया उस घर का वातावरण अच्छा होना तय माना जा सकता है.आचार्य चाणक्य श्लोक के माध्यम से कहते हैं-

Chanakya Niti shloka :

माता च कमला देवी पिता देवो जनार्दनः।

बान्धवा विष्णुभक्ताश्च स्वदेशो भुवनत्रयम्॥

भावार्थ : Chanakya Niti Shlok In Hindi :

घर में कैसी हो मां की भूमिका –

इस श्लोक के माध्यम से आचार्य चाणक्य ने कहा है कि घर मे एक मां लक्ष्मी के समान गुणी होनी चाहिए.जो अपने संतानों में अच्छी शिक्षा व संस्कार का सृजन करे.वह अपने संतानों को जीवन के सही मार्ग पर चलने की सीख दे सके.चाणक्य कहते हैं कि यदि ऐसे गुणों से भरी एक मां हो घर मे तो वह घर स्वर्ग के समान ही खुशहाल रहता है.

घर में कैसी हो पिता की भूमिका –

एक घर मे पिता की भूमिका कैसी हो इसपर चाणक्य ने एक पिता के गुणों की तुलना भगवान विष्णु से की है.यदि एक पिता तमाम परेशानियों व बाधाओं को अपने पास ही रखकर उसका समाधान अपने पुरुषार्थ से कर दे.जो घर को इस तरह चलाए जिससे घर पर कर्ज न चढ़े.जो धन जुटाने में न लीन रहकर घर मे अनुशासन बनाने में ज्यादा दिलचस्पी रखे,उस घर को ऐसा पिता या मुखिया मिलना घर को स्वर्ग समान खुशहाली देता है.

घर में कैसी हो संतान की भूमिका –

घर के संतान या भाई-बंधु कैसे हों,इसपर चाणक्य कहते हैं की जिस घर के संतान या भाई-बंधु अपने माता-पिता (जिन्हें चाणक्य ने विष्णु व लक्ष्मी के गुणों की कल्पना के साथ बताया है) का कहना माने.उनकी आज्ञाओं का पालन करे.माता -पिता के ही दिखाए मार्ग पर खुद को लेकर चले.ऐसे घर मे हमेसा प्रसन्नता का ही वास रहता है.ऐसे घरों में नकारात्मक माहौल का सृजन नही हो पाता है.

इन तमाम बातों के साथ चाणक्य कहते हैं कि जिस घर मे ऐसे माता -पिता यानी लक्ष्मी व विष्णु के गुणों वाले माता -पिता व मां-बाप की बातों को मानने वाले संतान हों वो घर ही अपने आप के तीन लोक समान है.

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