छपरा : लॉकडाउन में लोगों की आम दिनचर्या को प्रभावित किया ही है. कल तक अपने रोजगार के बदौलत रोजाना घर के लिए कुछ न कुछ कमाने वाले भी काम करने के तरीकों और रोजी-रोटी जारी रखने के नये-नये प्रयास कर रहे है. लॉकडाउन में फल, सब्जी, दूध आदि जरूरी सामग्रियां बिक रही है. ऐसे में कल तक इनके अलावा दूसरे सामग्रियों की बिक्री करने वाले भी अपने लिए रोजगार के अवसर तलाश रहे है. शहर के गली-मुहल्लों में ठेले पर फल व सब्जी बेचते ऐसे कई लोग दिख रहे है जो लॉकडाउन के पहले फुटपाथ पर ही चाय-नाश्ता, चाट, चाउमिन, बर्गर आदि बेचा करते थे. वहीं मीट व मछली की मंडियों में रोजगार करने वाले भी दूध-फल व सब्जियां बेचकर अपना परिवार चला रहें है. वेंडर कृष्णा अब मुहल्ले में बेच रहे सब्जीशहर के श्यामचक मुहल्ले में सड़क किनारे सब्जी की दुकान चला रहें कृष्णा चौधरी लॉकडाउन के पहले घरों तक घरेलू गैस की सप्लाइ करते थे.
कुछ दिन पहले उनकी तबीयत खराब थी. इस कारण वेंडर का कार्य अभी नहीं कर पा रहे है. ऐसे में रोजी-रोटी के जुगाड़ के लिए कृष्णा घर के बाहर ही एक सब्जी की दुकान चलाकर किसी तरह अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहें है. कृष्णा बताते है कि कोई न कोई काम तो करना ही होगा. इसलिए वह सब्जी का ठेला लगाते है. मछली बेचने वाला कलाम अब बेच रहा अंगूरछपरा के मिरचईया टोला में रहने वाला 18 वर्षीय मो कलाम लॉकडाउन के पहले मछली बेचने का काम करता था. लॉकडाउन के बाद कोरोना संक्रमण के भय में मांस-मछली के कारोबार को पूरी तरह ठप कर दिया है. मो कलाम ने बताया कि पहले रोजाना तीन से चार सौ रुपये कमा लिया करता था, जिससे अपने मां-बाप व भाई बहनों के लिए रोजाना की रोटी का जुगाड़ हो जाता था.
लॉकडाउन के बाद मछली कोई नहीं खरीद रहा. ऐसे में उसने अंगूर बेचकर ही परिवार की परवरिश का बीड़ा उठाया है. वह बताता है कि काफी समस्या हो रही है. कुछ समाजसेवियों ने राहत सामग्री तो दी है. लेकिन घर की ऐसी बहुत जरूरतें है, जिसके लिए उसे फल बेचना पड़ रहा है. घर से ही सप्लाइ कर रहे हैंडवास व फेनाइलशहर के पंकज सिनेमा रोड में रहने वाले विनीत कुमार जैन की फेनाइल की दुकान लॉकडाउन के कारण बंद है. अपने बच्चों की परवरिश का यही एक माध्यम है. ऐसे में वह घर से ही फेनाइल व हैंडवास की सप्लाइ कर रहें है. उन्होंने बताया कि पहले सिर्फ फेनाइल व ट्वायलट क्लिनर बेचते थे. लेकिन जबसे कोरोना का संक्रमण बढ़ा है, तबसे हैंडवास की आवश्यकता बढ़ गयी है. ऐसे में वह घर में अच्छी क्वालिटी का हैंडवास तैयार कर समाजसेवियों के माध्यम से लोगों तक पहुंचा रहे है. उन्हें इसकी उचित कीमत तो नहीं मिल पा रही बावजूद इसके घर परिवार चलाने के लिए यह काम कर रहें है.