19.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

सेना के जवान के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिये 2000 किमी का सफर पैदल तय कर रहे परिजन

देश में लागू लॉकडाउन के बीच सेना के वीरता पुरस्कार अधिकारी के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिये उनके परिजन दो हजार किलोमीटर से अधिक दूरी का सफर सड़क के रास्ते तय कर रहे हैं.

नयी दिल्ली : देश में लागू लॉकडाउन के बीच सेना के वीरता पुरस्कार अधिकारी के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिये उनके परिजन दो हजार किलोमीटर से अधिक दूरी का सफर सड़क के रास्ते तय कर रहे हैं.

दिवंगत अधिकारी के परिवार के एक सदस्य ने यह जानकारी दी. अधिकारियों ने बताया कि कैंसर से पीड़ित शौर्य चक्र विजेता कर्नल एन एस बाल का बृहस्पतिवार को बेंगलुरु के एक अस्पताल में निधन हो गया था.

दिवंगत अधिकारी के भाई नवतेज सिंह बाल अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिये अमृतसर से शुरू हुई परिवार की यात्रा के बारे में लिख रहे हैं. उन्होंने शुक्रवार को ट्वीट किया था, ‘फिलहाल मेरे परिजन दिल्ली में हैं और अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिये बेंगलुरु जाने के लिये रास्ते तलाश रहे हैं.

Also Read: Covid19 Outbreak: मुंबई से कोरोना लेकर आया कोडरमा का युवक, हजारीबाग और रांची में भी नये मरीज मिले

उन्होंने दोबारा ट्वीट किया, सहयोग के लिये सभी का धन्यवाद! हम वडोदरा पहुंचने वाले हैं. सुरक्षा बलों की ओर से रास्ते में बहुत मदद और सहयोग मिला है. अगर सबकुछ सही रहा तो हम कल रात बेंगलुरु पहुंच जाएंगे. वहीं शनिवार को नवतेज सिंह बाल ने ट्वीट किया, ‘ताजा जानकारी. हम बेंगलुरु से 650 किलोमीटर दूर हैं.

पुलिस और सुरक्षा बलों की ओर से बहुत सहयोग मिल रहा है. हर कोई आगे आकर कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिये शानदार काम कर रहा है. भारत में कोरोना वायरस के मद्देनजर राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन लागू है. सेना के कुछ सेवानिवृत अधिकारियों ने इस बात पर अफसोस जताया है कि इतने अंलकृत अधिकारी के परिजन को अपने बेटे के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए सड़क के रास्ते इतना लंबा सफर तय करना पड़ रहा है.

Also Read: बंगाल में लॉकडाउन के उल्लंघन से गृह मंत्रालय नाराज, ममता सरकार से मांगा रिपोर्ट

पूर्व सेना प्रमुख (सेनानिवृत) वी पी मलिक ने कर्नल बाल के भाई की पोस्ट पर जवाब देते हुए ट्वीट किया, ‘विनम्र संवेदना! आपकी यात्रा शुभ रहे. भारत सरकार की ओर से कोई मदद न मिलना दुखद. नियम कोई पत्थर की लकीर नहीं. विशेष परिस्थितियों में उनमें संशोधन किया जा सकता है या बदला जा सकता है.

Also Read: अगर कोरोना से लड़ने के लिए सरकार को मेरी मदद की जरूरत है, तो मैं भारत लौट आऊंगा : आरबीआई के पूर्व गर्वनर रघुराम राजन

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें