माया नगरी मुंबई में जहां पर कोरोना के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है तो वहीं दूसरी तरफ मुंबई एक और बड़ी समस्या की तरफ बढ़ रहा है. दरअसल मुंबई में शुक्रवार को 19 मेडिकल स्टाफ कोरोना संक्रमित पाए गए जिसकी वजह से वहां पर हेल्थ वर्कर के कोरोना संक्रमित होने का आंकड़ा होने का आंकड़ा 100 पर पहुँच गया है, नतीजा ये हो रहा है कि हेल्थ वर्कर के लगातार मरीज बनने की वजह से वहां पर कई अस्पताल बंद होने की कगार पर पहुँच चुका है
अब मुंबई में सेफ़्टी किट, अतिरिक्त वेतन और ट्रांसपोर्ट मुहैया कराने की मांग होने लगी है,
मुंबई के जसलोक, वाकहार्ट और भाटिया हॉस्पिटल को तो पूरी तरह से सील कर दिया गया है, जबकि ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल में सिर्फ जरूरी ऑपरेशन किए जा रहे हैं.
शुक्रवार को दादरी में सुश्रूषा अस्पताल की तो 2 नर्सें संक्रमित पाई गयी हैं जिस वजह से अब वहां पर के सभी मरीजों को 48 घंटे के अंदर डिस्चार्ज करने की अनुमति दे दी गयी है. दादरी में तो पूरे इलाके के को सेनेटाइज किया जा रहा है.
महाराष्ट्र में इस तरह तेजी से मामले बढ़ने के कारण राज्य सरकार अगले हफ्ते से मुंबई से रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट शुरू कर सकती है. स्वास्थ्य विभाग से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि सबसे पहले कोरोना के हॉटस्पॉट में रैपिड टेस्ट किया जाएगा. रैपिड टेस्टिंग में 15-30 मिनट में ब्लड सैंपल की जांच होकर उसकी रिपोर्ट आ जाती है. रिपोर्ट में ब्लड में मौजूद एंटीबॉडी का पता चलता है. एंटीबॉडी की उपस्थिति से संक्रमण का पता लगाया जाता है.
मेडिकल स्टाफ के इस तरह से बीमार होने की वजह से उनकी व्यवस्था पर सवाल उठने शुरू हो गये हैं. साउथ मुंबई के एक अस्पताल की नर्स ने अस्पताल प्रशासन पर गंभीर सवाल उठाते हुए कहा कि हमारी दशा के बावजूद पीपीई किट केवल कोविड-19 वार्डों में काम करने वालों को दिए गए. यहां तक कि जिनमें वायरस के लक्षण दिख रहे थे उनकी भी शिफ्ट लगा दी गई. जब वे बहुत बीमार हो गए, तब छुट्टी मिली.’ यूनाइडेट नर्स असोसिएशन की एक सदस्य ने कहा, ‘अधिकतर नर्सें केरल से हैं, 8 से 12 लोगों के बीच हॉस्टल और अपार्टमेंट में रहती हैं. ऐसे में संक्रमण फैलने की बहुत संभावना है. अधिकतर को न क्वारंटीन किया गया और न टेस्ट हुआ.’
बता दें कि स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़े के अनुसार मुंबई में कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या 1574 हो गयी है. जबकि कोरोना की वजह से मरने वालों की संख्या 110 हो गयी है.